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कांग्रेस ने भारत की एकता और अखंडता को कमजोर किया, कच्चातिवु द्वीप को लेकर PM Modi ने किया तीखा हमला

PM Modi On Katchatheevu Island,नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव के आगाज के साथ ही कांग्रेस की मुश्किलें एक के बाद एक लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। इसी कड़ी में कच्चातिवु द्वीप का मामला भी सामने आ गया है, जिसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 31 मार्च को 1970 के दशक में कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को देने के लिए कांग्रेस की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह प्रतिक्रिया सूचना के अधिकार (आरटीआई) की उस रिपोर्ट के बाद आयी है, जिसमें खुलासा हुआ है कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। इस रिपोर्ट में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की टिप्पणियों और उन घटनाओं का विस्तृत विवरण भी दिया गया है, जिसकी वजह से ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने लिखा, "आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली ! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चातिवु को दे दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कभी भी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते।" पीएम मोदी ने कांग्रेस पर भारत की एकता को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए आगे कहा, "भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्षों से काम करने का तरीका रहा है।"

अमित शाह ने भी कांग्रेस पर साधा निशाना

वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि “कांग्रेस के लिए धीमी तालियां! उन्होंने खुद द्वीप छोड़ दिया और उन्हें इसका कोई पछतावा भी नहीं था। कभी कांग्रेस का कोई सांसद देश को बांटने की बात करता है, तो कभी भारतीय संस्कृति औऱ परम्पराओं को बदनाम करता है। इससे पता चलता है कि वे भारत की एकता औऱ अखंडता के खिलाफ हैं। वे केवल हमारे देश को बांटना या तोड़ना चाहते हैं।“ इससे पहले भी पीएम मोदी ने संसद में इस द्वीप का जिक्र करते हुए कहा था कि देश की गांधी सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था। 'इन लोगों ने राजनीति के लिए भारत माता को तीन हिस्सों में बांट दिया। कच्चातिवु तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच एक द्वीप है। किसी ने इसे दूसरे देश को दे दिया। यह इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ। वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन प्रधानमंत्री मोदी से कच्चातिवु द्वीप को वापस लेने की मांग कर चुके हैं। स्टालिन ने कहा कि “ मैं प्रधानमंत्री से अपील करना चाहूंगा कि कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लीजिए ताकि हमारे मछुआरे स्वतंत्र रूप से सुमुद्र में मछली मार सकें। इसलिए प्रधानमंत्री जी कृपया कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लाएं।“ ये भी पढ़ें..लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने किया मेनिफेस्टो कमेटी का गठन, मोहन-शिवराज समेत इन दिग्गजों को मिली जगह

भारत-श्रीलंका के बीच एक छोटा सा आईलैंड कच्चातिवु द्वीप

दरअसल, कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर के दक्षिणी छोर पर भारत और श्रीलंका के बीच एक छोटा सा आईलैंड है, जो कि 285 एकड़ में फैला हुआ है। ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के अधीन था। ब्रिटिश शासन काल में यह द्वीप मद्रास प्रेसिडेंसी के पास आय़ा। 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों देशों ने मछली पकड़ने को लेकर इस स्थान पर दावा किया था, लेकिन तब इस स्थल को लेकर कुछ खास नहीं हुआ। वहीं आजादी के बाद समंदर की सीमा को लेकर 1974-76 के बीच चार समझौते हुए हैं, जिसके तहत भारतीय मछुआरों को इस द्वीप पर जाल सुखाने और आराम करने की इजाजत दी गयी।

इंदिरा गांधी ने 1974 कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपा था

1974 में ही भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी औऱ श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के बीच एक समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया। जबकि इस स्थान पर तमिलनाडु के रामेश्वरम जैसे जिलों से मछुआरे जाते हैं, क्योंकि भारतीय जल में मछलियां खत्म हो गयी हैं। मछुआरे यहां पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पार करते हैं, तो श्रीलंका के नौसैनिक उन्हें हिरासत में ले लेते हैं। ऐसे में कच्चातिवु द्वीप के मुद्दे को उठाकर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को घेरने का काम किया है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)