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मन की बात : पीएम मोदी ने कोरोना की एहतियाती खुराक लगवाने का किया आह्वान

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों से कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ ही सभी पात्र लोगों से एहतियाती खुराक (प्रीकॉशन डोज) लगवाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी रविवार को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 90वीं कड़ी में अपने विचार साझा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना के खिलाफ सावधानी को भी ध्यान रखना है। हांलाकि, संतोष की बात है कि आज देश के पास वैक्सीन का व्यापक सुरक्षा कवच मौजूद है। हम 200 करोड़ वैक्सीन डोज़ के करीब पहुंच गए हैं।

देश में तेजी से एहतियाती खुराक भी लगाई जा रही है। अगर आपकी दूसरी डोज के बाद प्रीकॉशन डोज का समय हो गया है, तो आप, ये तीसरी डोज जरुर लें। अपने परिवार के लोगों को, खासकर बुजुर्गों को भी प्रीकॉशन डोज लगवाएं। हमें हाथों की सफाई और मास्क जैसी जरुरी सावधानी भी बरतनी ही है। प्रधानमंत्री ने बारिश के मौसम में रोगों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि हमें बारिश के मौसम में आस-पास गन्दगी से होने वाली बीमारियों से भी आगाह रहना है। उन्होंने लोगों से सजग और स्वस्थ रहते हुए ऐसी ही ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते रहने की कामना की।

आपातकाल को बताया इतिहास का काला अध्याय

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में आपातकाल को याद किया। उन्होंने इसे भारत के इतिहास का ‘काला अध्याय’ बताया और कहा कि यह हमारी लोकतांत्रिक मानसिकता थी जिसकी आखिकार प्रबल जीत हुई। मन की बात की 90वीं कड़ी की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी के नौजवानों को जानकार आश्यर्च होगा कि उनके माता-पिता का अपनी युवा अवस्था में जीवन का अधिकार छीन लिया गया था।

1975 में 25 जून को देश में आपातकाल लागू किया गया था। इसमें देश के नागरिकों से सारे अधिकार छीन लिए गए थे। उसमें से एक अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिला ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार’ भी था। उन्होंने कहा कि उस समय भारत के लोकतंत्र को कुचल देने का प्रयास किया गया था। देश की अदालतें, हर संवैधानिक संस्था, प्रेस, सब पर नियंत्रण लगा दिया गया था। सेंसरशिप की ये हालत थी कि बिना स्वीकृति कुछ भी छापा नहीं जा सकता था।

उन्होंने कहा, “बहुत कोशिशों, हजारों गिरफ्तारियों और लाखों लोगों पर अत्याचार के बाद भी, भारत के लोगों का, लोकतंत्र से विश्वास डिगा नहीं, रत्ती भर नहीं डिगा । भारत के हम लोगों में, सदियों से, जो लोकतंत्र के संस्कार चले। आ रहे हैं, जो लोकतांत्रिक भावना हमारी रग-रग में है आखिरकार जीत उसी की हुई।”

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