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रंग या अबीर से होली खेलने से शरीर के चक्र होते हैं मजबूत, जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

नई दिल्लीः होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 17 मार्च को और होली 18 एवं 19 मार्च को खेली जाएगी। हिन्दू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को पड़ रही है। ऐसे में होलिका दहन गुरुवार को होगा। इस के अगले दिन चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि 18-19 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। होली का त्योहार होलिका दहन मुख्य रूप से विष्णु भक्त प्रहलाद से जुड़ा हुआ है। इस प्रथा के चलते हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। जो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंगवाली होली को राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में मनाया जाता है। इसके साथ ही होली में जब रंग हमारे शरीर को लगता है तो उस रंग से सम्बंधित चक्र मजबूत होते हैं और चक्र के मजबूत होने से उससे सम्बंधित अंग मजबूत होता है। इस तरह सभी को रंगों से होली खेलनी चाहिए। होली में रंग या अबीर खेलने पर जो रंग शरीर पर लगता है तो उस रंग से सम्बंधित चक्र मजबूत होता है। चक्र के मजबूत होने से उस चक्र से संबंधित बीमारी भी ठीक होती है इसलिए होली पर रंग जरूर खेलना चाहिए। रंग चिकित्सा को क्रोमोथैरेपी भी कहते हैं।

रंगों के लगने से हमारे शरीर के चक्र होते हैं सक्रिय
कलर थेरेपी अर्थात रंग चिकित्सा, वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है। जिसमें यह रंग शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करता है। प्राकृतिक रंगों का प्रयोग शरीर के सभी सात प्रमुख चक्रों को मजबूत बनाता है, जिससे रोग ठीक हो जाते हैं। रंग चिकित्सा का विज्ञान बहुत प्राचीन है। रंग हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। रंगों से हमें एनर्जी मिलती है। यह एनर्जी सूर्य के किरणों में मौजूद रंगों का मिश्रण के माध्यम से हमारे शरीर पर पड़ती है। सूर्य की किरणों में सात रंग होते हैं और उसी प्रकार हमारे शरीर में सात प्रमुख चक्र होते हैं। जिन्हें हम एनर्जी सेंटर कहते हैं। प्रत्येक चक्र का अपना-अलग रंग होता है। इन रंगों के लगने से हमारे शरीर के चक्र सक्रिय हो जाते हैं।

ब्रह्म चक्र का रंग बैगनी है यह रंग हमारे पिट्यूटरी ग्रंथि को सक्रिय करता है, इस से हमें अच्छी नींद आती है। आज्ञा चक्र का रंग गहरा नीला है, इससे हमारे शरीर में पैरा थायराइड ग्रंथि सक्रिय होती है, यह ट्यूमर को खत्म करता है। कंठ चक्र का रंग आसमानी होता है, इससे पिट्यूटरी ग्रंथि सक्रिय होती है और बुखार तथा शरीर की जलन ठीक होती है। हृदय चक्र का रंग हरा है, इससे मन एवं क्षमता की वृद्धि होती है। जिसके कारण शरीर के हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं। मणिपुर चक्र का रंग पीला है, शरीर के हार्मोन्स के उत्पाद में वृद्धि व पाचन क्रिया ठीक करता है। पूरे शरीर को शक्ति देने के साथ ही फेफड़ों को ठीक करता है। स्वाधिष्ठान चक्र का रंग नारंगी है, रक्तचाप वृद्धि में यह एड्रिनल ग्रंथि तथा गुर्दा के रोगों में लाभदायक है। मूलाधार चक्र का रंग लाल है, यह शरीर में रक्त की क्रियाशीलता बढ़ाता है। यह जोड़ों के दर्द, सर्दी, जुकाम, लकवा, मोच में ज्यादा लाभदायक है।

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होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 1.29 से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12.47 तक है। जिसके मुताबिक होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 17 मार्च की रात 9ः20 मिनट से लेकर रात 10.31 मिनट तक रहेगा। शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन करना उपयुक्त माना जाता है। वहीं कुछ ज्योतिषाचार्य होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च की रात 9.06 से रात 10.16 तक बताते हैं।

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