बिहार सरकार के 65 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने की मांग, HC में याचिका दायर

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Petitioner Against Reservation: पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने के राज्य सरकार के फैसले को सोमवार को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नमन श्रेष्ठ और गौरव कुमार की ओर से हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में नीतीश सरकार के फैसले को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।

इस जनहित याचिका में इन संशोधनों पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन जाति सर्वेक्षण के आधार पर किया गया है। इस जाति सर्वेक्षण में इन पिछड़ी जातियों का प्रतिशत 63.13 प्रतिशत था, जबकि इनके लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए किया गया था। 2023 का यह संशोधित अधिनियम भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

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संशोधन के अनुसार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए एक प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर दो प्रतिशत कर दिया गया। इसी प्रकार पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 12 से बढ़ाकर 18 तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया। बिहार विधानसभा ने 10 नवंबर को संशोधन पारित किया और राज्यपाल ने 18 नवंबर को इन कानूनों को मंजूरी दे दी। इसके बाद राज्य सरकार ने 21 नवंबर को राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी की।

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