नीट-यूजी प्रवेश परीक्षा पेपर लीक मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को आयोजित नीट-यूजी प्रवेश परीक्षा में पेपर लीक होने को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर की जांच की स्टेटस रिपोर्ट की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट के किसी भी हस्तक्षेप से परीक्षा के बारे में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है और यह बड़ी संख्या में छात्रों के हित में नहीं होगा।

याचिका विश्वाथ कुमार और दूसरे छात्रों ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि वह केवल नीट-यूजी परीक्षा में कदाचार पर दर्ज एफआईआर में जांच रिपोर्ट की मांग कर रहे हैं। तब जस्टिस राव ने कहा कि अगर हम हस्तक्षेप करते हैं तो इससे संदेह पैदा होगा। ऐसा करना बड़ी संख्या में छात्रों के लिए नुकसानदेह साबित होगा। तब खुर्शीद ने बाद में ऐसी ही मांगों के साथ कोर्ट में दोबारा आने की स्वतंत्रता देने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि इससे भ्रम पैदा होगा और उसका अलग अर्थ समझा जाएगा। इसके बाद खुर्शीद ने याचिका वापस ले ली।

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छात्रों की ओर से वकील ममता शर्मा ने कहा कि नीट परीक्षा के दिन सीबीआई ने केस दर्ज किया और चार लोगों को गिरफ्तार किया। परीक्षा में हेराफेरी की गई और कुछ परीक्षार्थियों के बदले दूसरे से परीक्षा दिलवाई गई। इसके लिए कोचिंग संस्थानों ने एक उम्मीदवार से पचास लाख रुपये तक लिये थे। इस मामले में सीबीआई के अलावा यूपी पुलिस, राजस्थान पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस ने भी अलग-अलग केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीबीआई की ओर से दर्ज की गई 12 सितंबर की एफआईआर से साफ है कि नीट यूजी प्रवेश परीक्षा का पेपर एक आपराधिक साजिश के तहत लीक किया गया, जिसमें कई नामी कोचिंग सेंटर और पेपर सॉल्वर गिरोह की संलिप्तता पाई गई है।

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