Wednesday, January 15, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशयूपी के लोगों को गर्मियों में नहीं झेलनी होगी बिजली कटौती

यूपी के लोगों को गर्मियों में नहीं झेलनी होगी बिजली कटौती

UP Electricity। Lucknow: पिछली दो गर्मियों से भयंकर बिजली संकट झेलने वाले प्रदेशवासियों के लिए अच्छी खबर है। इस बार गर्मियों में प्रदेशवासियों को बिजली संकट नहीं झेलना पड़ेगा। गर्मियों में अनवरत बिजली मुहैया कराने के लिए प्रदेश सरकार ने बजट में पिछले वर्ष के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक धनराशि का इंतजाम किया है। इस मद में 2,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

यूपी सरकार ने प्रदेश में अवस्थापना विकास के तहत सबसे अधिक 57 हजार 70 करोड़ 77 लाख रुपए ऊर्जा क्षेत्र को दिए हैं। इस धनराशि से विद्युत वितरण व्यवस्था का आधुनिकीकरण व सदृढीकरण का कार्य कराया जाएगा। बजट आवंटन से केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना पर अब तेजी से काम हो सकेगा, वहीं किसानों को रियायती दर पर बिजली देने के लिए बजट का आवंटन किया गया है। निजी नलकूप उपभोक्ताओं (किसानों) को रियायती दर पर बिजली देने के लिए 1,800 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। यह धनराशि बीते वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है। बजट में राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 के क्रियान्वयन के लिए 60 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

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यह चालू वित्तीय वर्ष के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है। पीएम कुसुम घटक-सी एक के तहत निजी ऑनग्रिड पंपों के सोलराइजेशन के लिए 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। यह धनराशि वर्तमान वित्तीय वर्ष की तुलना में दोगुना है। बजट में अयोध्या और वाराणसी शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में स्थापित किए जाने का भी जिक्र किया गया है। इसके लिए दोनों शहरों में काम भी चल रहा है। केंद्र सरकार की ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर-2 परियोजना के तहत बुंदेलखण्ड क्षेत्र में 4,000 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क का विकास करने का भी जिक्र किया गया है। प्रदेश में अब तक 328 मेगावाट की सोलर रूफटॉप परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं, वहीं प्रदेश में करीब 2,400 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा की जा रही है। अयोध्या में सरकारी भवनों को सौर ऊर्जा युक्त करने के साथ ही वहां 10 मेगावाट का एक प्लांट भी लग चुका है।

20 हजार उपभोक्ताओं की नहीं हो पाई रीडिंग

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने बीते माह 5-9 किलोवाट भार वाले उपभोक्ताओं की एमआरआई बेस्ड रीडिंग का नियम लागू किया था। अब इस नियम के चलते लेसा के करीब 20 हजार उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग नहीं हो पाई। विभागीय अभियंताओं की मानें तो कम्पनी के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं हैं। इसके चलते ही समय से उपभोक्ताओं की एमआरआई रीडिंग नहीं हो पाई। मध्यांचल प्रबंधन ने मीटर में छेड़छाड़ की आशंका को रोकने के लिए यह नियम बनाया है। इसके तहत अब 05 किलोवाट से ऊपर भार वाले उपभोक्ताओं पर मीटर रीडिंग इंस्टूमेंट (एमआरआई) के जरिए नजर रखी जाएगी।

पहले 10 किलोवाट से अधिक भार वाले उपभोक्ताओं की एमआरआई बेस्ड रीडिंग की जा रही थी। मीटर रीडिंग की मैनुअल व एमआरआई व्यवस्था के लिए अलग-अलग कम्पनियां हैं, वहीं कई इलाकों में उपभोक्ताओं की शिकायत पर फील्ड कर्मचारियों से रीडिंग कराई जा रही है। गौरतलब है कि लेसा में 5-9 किलोवाट भार वाले उपभोक्ताओं की कुल संख्या 77 हजार से अधिक है। मध्यांचल निगम में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या एक लाख 20 से अधिक है। लेसा जोन के सिस गोमती-प्रथम में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 15683, सिस गोमती-द्वितीय में 14212, ट्रांसगोमती-प्रथम में 18281 और ट्रांसगोमती-द्वितीय में 29093 है।

(रिपोर्ट- पंकज पाण्डेय, लखनऊ)

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