लखनऊ: शहर में तीन अक्टूबर से शुरू हुए शारदीय नवरात्र की तैयारियां कई दिनों पहले शुरू हो गई थीं। इस बार लखनऊ में पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक पूजा के पंडाल सजाए गए हैं। इन पंडालों में नवरात्र के पहले दिन प्रथम शैलपुत्री की पूजा की गई। पंडाल में विराजमान मां दुर्गा की प्रतिमाओं में कुछ जिले से बाहर की तो कुछ शहर के कलाकारों ने ही तैयार किया है। इनको आकार देने तथा सजाने में कारीगरों ने महीनों से कड़ी मेहनत की है। पंडाल में ऐसी भक्तिवर्षा हो रही है, मानों माता रानी खुद आकर सिंहासन पर बैठी हुई हैं।
दुकानों में जबरदस्त खरीदारी
हमेशा की तरह ही इस बार भी लोगों में शारदीय नवरात्र को लेकर उत्साह दिख रहा है। तीन अक्टूबर को अमीनाबाद, कृष्णानगर और डंडहिया की दुकानों में जबरदस्त खरीदारी की गई। इस खरीदारी में ज्यादा वस्तुएं नवदुर्गा पूजा की थीं। यद्यपि शारदीय नवरात्र की तैयारियां कई दिनों पहले शुरू हो गई थीं, लेकिन कुछ छूटी हुई वस्तुएं रविवार तक खरीदी गईं। इस बार अमीनाबाद में दुर्गाशप्तशती की खूब खरीदारी की गई।
उत्साहित दिखे लोग
संस्कृत में आई इस 80 रूपये की पुस्तक में खासियत भी है। इसमें स्लोक के साथ वर्जन हिंदी और संस्कृत दोनों में है। साथ ही घरों में रखने के लिए खास प्रतिमाओं की खरीद भी इस बार खूब हुई। पंडाल में रखने के लिए दुर्गा प्रतिमा की बुकिंग पहले से ही लोगों ने कराने के लिए उत्साहित दिखे। श्रीश्री दुर्गा पूजा समिति आशियाना, दुर्गा पूजा समिति छितवापुर, आचार्य द्विवेदी नगर, नेहरू नगर, राजकीय कॉलोनी, आईटीआई, गोरा बाजार, शिवाजी नगर, रतापुर, छोटी बाजार, सब्जी मंडी, नेहरू नगर, प्रगतिपुरम कॉलोनी, कृष्णानगर में दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं।
श्रद्धालुओं को पसंद आ रही छत्र वाली प्रतिमा
माना जा रहा है कि शहर में करीब डेढ हजार से ज्यादा स्थानों पर दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं। पंडालों को सजाने के लिए नाका बाजार में फुटकर लाइटिंग का प्रदर्शन पितरपक्ष लगने से पहले ही होता रहा। बुधवार से भक्त बाजारों में पहुंचकर माता की चुनरी व शृंगार समेत अन्य सामग्री खरीदते नजर आए। शहर के कई स्थानों में मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में करीब दो महीने से व्यस्त रहे।
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मातारानी के स्वरूपों में शेषनाग के छत्र वाली प्रतिमा को श्रद्धालुओं ने ज्यादा पसंद किया। इस बार शारदीय नवरात्र के लिए मां दुर्गा की प्रतिमाएं कई दामों और धातु में उपलब्ध हैं। कुछ बाहरी कलाकार मिट्टी की मूर्तियां बेचते देखे गए तो धातु की मूर्तियों की भी बिक्री हुई। इनकी कीमतों में भी बड़ा फर्क देखा गया। बाजार में महंगाई का भी रहा। इनके दाम तीन हजार रुपये से 15 हजार रुपए तक हैं।
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