भाषा संथाली के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरे लोग, भारी विरोध प्रदर्शन कर किया चक्का जाम

36
भाषा संथाली के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरे लोग

कोलकाता: राज्य के जनजाति बहुल इलाकों में बोली जाने वाली भाषा संथाली को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में कथित तौर पर यथोचित अहमियत नहीं दिये जाने के खिलाफ बुधवार सुबह से राज्य के जनजाति बहुल इलाकों में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

जनजाति बहुल चार जिलों पश्चिम मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा में सड़कों पर उतर कर हजारों की संख्या में जनजाति समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। इसकी वजह से चारों जिले में फिलहाल यातायात व्यवस्था लगभग पूरी तरह से बाधित हो गई है। बाजार दुकान बंद हैं और सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही रोक दी गई हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जनजातियों के संगठन भारत जकात माझी परगना महल के आह्वान पर 12 घंटे के लिए आहूत आंदोलन बुधवार सुबह 6:00 बजे से शुरू हुआ है जो शाम 6:00 बजे तक चलने वाला है। विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों की मांग है कि संथाली भाषा के लिए जनजातीय समुदाय बहुलता वाले स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति हो, वॉलिंटियर्स शिक्षकों को पार्श्व शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाए, प्रत्येक जिले में संथाली माध्यम के कॉलेजों की स्थापना हो, संथाली स्कूलों में विषय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति और सटीक समय पर पाठ्य पुस्तकों का वितरण हो। इसके अलावा साधु राम चंद्र मुर्मू विश्वविद्यालय में अविलंब संथाली माध्यम में स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स चालू करने की मांग की जा रही है।

यह भी पढ़ें-सीएम योगी ने दिये निर्देश, कहा-गोशालाओं के लिए बनाया जाए सेल्फ…

इसी विश्वविद्यालय में संथाली नृत्य और गीत शुरू करने की भी मांग की गई है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता रायसेन हांसदा ने कहा कि वर्ष 2008 से संथाली माध्यम में पठन-पाठन की शुरुआत हुई है लेकिन आज तक कोई पृथक संथाली शिक्षा बोर्ड नहीं है। कोई इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है। कहीं स्कूल संथाली भाषा को समर्पित नहीं है। कई जगहों पर शिक्षक नहीं हैं। इसीलिए राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं ताकि सरकार हमारी मांगों को पूरा कर सकें।

एक और नेता बिप्लव सोरेन ने कहा कि हमने अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासन को पत्र लिखा। यहां तक कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी अपना ज्ञापन सौंपा है लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा। केवल बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन हमारी बेहतरी के लिए जमीन पर सकारात्मक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसलिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो आने वाले समय में और भी व्यापक आंदोलन होगा।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)