लखनऊः कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से उन मरीजों की संख्या बहुतायत होती है, जिनको एमआरआई जांच कराने को कहा जाता है लेकिन राजधानी के इतने बड़े संस्थान में एमआरआई की सुविधा तक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को निजी संस्थानों में लुटना पड़ रहा है।
राजधानी के कैंसर संस्थान और पीजीआई में तीमारदार अपने मरीजों को लेकर एमआरआई जांच के लिए भटक रहे हैं। कैंसर संस्थान में जहां एमआरआई जांच की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है, तो वहीं पीजीआई करीब 10 साल पुरानी एमआरआई मशीन के भरोसे मरीजों की जांच रिपोर्ट दे रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो अब इस जांच में काफी एडवांस मशीनें इस्तेमाल में लाई जाने लगी हैं। मरीज की बीमारी की गंभीरता को देखते हुए कभी-कभी एमआरआई जांच जरूरी हो जाती है, लेकिन अधिकारियों के तमाम दावों के बावजूद नई मशीन का लगना मरीजों के लिए सपना ही है।
कैंसर संस्थान में हर दिन 200 से अधिक मरीज इलाज की आस में अस्पताल परिसर में दाखिल होते हैं। दाखिल होने वाले मरीजों की संख्या में एक बड़ी संख्या उन मरीजों की होती है, जिनको एमआरआई जांच की जरूरत पड़ती है। इतने बड़े संस्थान में एमआरआई की सुविधा न होने से ट्यूमर और कैंसर के मरीजों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इलाज की मजबूरी के चलते मरीजों को महंगे निजी डायग्नोस्टिक सेंटर्स पर जाकर जांच करवानी पड़ती है। दूसरी ओर पीजीआई जैसे विश्वस्तरीय अस्पताल में एक एमआरआई मशीन लगी हुई है, जो बेहद पुरानी हो चुकी है। पीजीआई में हर दिन 100 से अधिक मरीजों को एमआरआई जांच लिखी जाती है। ऐसी स्थिति में सिर्फ एक मशीन होने के कारण मरीजों को जांच के लिए 3-4 माह तक की वेटिंग मिल रही है, जिसकी चलते मरीज निजी सेंटरों में महंगी जांच कराने को मजबूर है।
अधिकारियों ने बीते साल नई मशीन आने का दावा किया था, पर इसके बावजूद अब तक नई मशीन नहीं आ पाई है। कैंसर संस्थान और पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने बताया कि कैंसर संस्थान के लिए नई एमआरआई मशीन का ऑर्डर हो गया है। अगले 3-4 माह में मशीन लग जाएगी। फिलहाल प्राइवेट सेंटर पर पीजीआई की दरों पर मरीजों की जांच कराई जा रही है, वहीं पीजीआई की बात करें तो यहां से भी मशीन का ऑर्डर जा चुका है। उम्मीद है कि अगले 4-5 माह के भीतर नई मशीन लग जाएगी। इसके अलावा पीपीपी मॉडल पर भी एक मशीन लगाने की तैयारी चल रही है। जिसके लगने के बाद जांच के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट 2-3 दिन की रह जाएगी।
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कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में खुला ब्लड बैंक
कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान के मरीज और उनके तीमारदारों को अगर ब्लड की जरूरत पड़ जाए, तो उन्हें इसकी आपूर्ति के लिए एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान के चक्कर लगाने पड़ते थे लेकिन अब मरीजों को अस्पताल में ही खून मिल सकेगा क्योंकि अस्पताल में ब्लड बैंक खुल चुका है। यहां पर ब्लड बैंक ट्रांसफ्यूजन विभाग के तहत संचालित होगा। इससे कैंसर के मरीजों और उनके तीमारदारों को ब्लड, प्लेट्लेट्स, रिच प्लाज्मा समेत अन्य कंपोनेंट की जरूरत पड़ने पर अब दूसरे संस्थानों में दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। इससे पहले संस्थान के पास ब्लड बैंक का लाइसेंस नहीं था, तब सिर्फ ब्लड का स्टोरेज किया जाता था।
संस्थान में ब्लड बैंक शुरू होने से मरीजों ने राहत की सांस ली है। कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने बताया कि ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में ब्लड बैंक का संचालन हो गया है। सीएमएस डॉ. अनुपम वर्मा का कहना है कि लाइसेंस के लिए हुए निरीक्षण में सभी मानक पूरे मिले है। ब्लड बैंक को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की आधुनिकतम तकनीक से लैस किया जाएगा। विभाग में उपलब्ध एडवांस मशीनें कैंसर पीड़ित मरीजों के लगातार होने वाली ब्लड और कंपोनेंट की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम होंगे।
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