निकाय चुनाव में भागीदारी के लिए पाटीदारों ने बनाया दबाव, बीजेपी बदल सकती है रणनीति

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अहमदाबादः गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव को देखते हुए पाटीदारों के लामबंद होने से भाजपा अपनी रणनीति बदलने पर विचार कर रही है। 2015 के जिला-तालुका और नगरपालिका चुनाव में पाटीदारों की नाराजगी से भाजपा हार गई थी। इस वर्ष भी अहमदाबाद के उमियाधाम से पाटीदारों ने भाजपा को चेताया गया है कि पाटीदारों को सरकार और प्रशासन उपेक्षित कर रहा है। पाटीदारों के तेवर देखकर भाजपा अपनी संसदीय बोर्ड की बैठक में नेता पाटीदारों के उम्मीदवारों के नाम चयन पर विचार कर सकती है।

दरअसल, स्थानीय निकाय चुनाव से पहले पाटीदार एक मंच पर आ गए हैं। खोडलधाम कागवाड़ के अध्यक्ष नरेश पटेल के नेतृत्व में दो दिन पहले ऊंझा उमियाधाम में कदवा और लेउवा पाटीदार समाज के लोग एक मंच पर दिखे थे। इस चिंतन बैठक में नरेश पटेल ने कहा था कि पाटीदार समाज को राजनीति में नहीं लिया जाता है। पटेल ने कहा कि दुनिया में पाटीदारों की आबादी ढाई करोड़ से अधिक है। गुजरात की जीडीपी को अगर कोई बढ़ा सकता है तो वह है पाटीदार समाज। उद्योग, शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में पाटीदार आगे हैं, लेकिन अभी भी कुछ कमी है। अगर हमारे समाज में राजनीतिक पकड़ नहीं बढ़ी तो कोई भी हमारी गिनती नहीं करेगा। हमें सरकारी नौकरियों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। ऊंझा उमियाधाम के अध्यक्ष, मंजीभाई पटेल ने कहा कि पाटीदार को जितना नुकसान हुआ है, उतना किसी और को नहीं हुआ।

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उल्लेखनीय है कि स्थानीय निकाय चुनाव के उम्मीदवारों के चयन के लिए प्रदेश संसदीय बोर्ड की बैठक हो रही है। पाटीदार नेताओं के तेवर देखकर भाजपा प्रदेश नेतृत्व अपनी रणनीति बदलने पर विचार कर सकती है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक 2021 के चुनाव में राज्य में 2015 जैसी क्षति भले ही न हुई हो, लेकिन अभी तक पार्टी ने जिस तरह से उम्मीदवारों का पैनल बनाया है, उसमें पाटीदारों की मजबूत आवाज नहीं थी। अब पाटीदारों के लामबंद होने से भाजपा को पुनर्विचार करना होगा।