‘खेत में बितायी पूरी रात, चारों ओर बिछी थीं लाशें.., यात्री ने बताई ओडिशा ट्रेन हादसे की दर्दनाक कहानी

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Odisha Train Accident: पटनाः ओडिशा के बालासोर (Balasore) में हुए भीषण ट्रेन हादसे (Train Accident) के बाद से पूरा देश सदमे में है। सरकारी तंत्र ही नहीं निजी अस्पताल भी घायल यात्रियों के इलाज के लिए ओडिशा से लेकर पश्चिम बंगाल के विभिन्न अस्पतालों में सक्रिय हैं। लेकिन बिहार आए घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। स्थिति यह है कि बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती घायल यात्रियों का 12 घंटे बाद एक्स-रे किया गया है, जिसे बिहार सरकार ने नंबर वन का दर्जा दिया है। इन लोगों को रात नौ बजे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया और रविवार सुबह दस बजे के बाद एक्स-रे टीम पहुंची। सुबह सिविल सर्जन सदर अस्पताल पहुंचे और यहां भर्ती तीनों घायलों का एक्स-रे कराकर उचित इलाज शुरू कर दिया गया है। ट्रेन हादसे के बाद सदर अस्पताल में भर्ती हार्डिया निवासी हैदर निजी एंबुलेंस से बेगूसराय आया और उसने बताया कि वह अपने छह साथियों के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस से मजदूरी करने चेन्नई जा रहा है। इसी बीच हादसे का शिकार होने के बाद एक निजी एंबुलेंस से बेगूसराय पहुंच गया। ताकि परिवार के सामने इलाज हो सके।

ओडिशा ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) की दर्दनाक कहानी

हैदर ने बताया कि गुरुवार को वह बरौनी से गंगासागर एक्सप्रेस पकड़कर बुंदेल गया था। वहां से चेन्नई से हावड़ा और हावड़ा से शालीमार जाने के लिए दोपहर 3ः20 बजे जनरल बोगी में कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार हुए। खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे, इसी दौरान अचानक तेज आवाज के साथ बोगी पलट गई। हम कुछ समझ नहीं पाए। मैं, अली, नसरुल्लाह और अख़लाक़ एक जगह बैठे थे। चारों किसी तरह बाहर निकले, पूरा शरीर खून से सना हुआ था। लेकिन साथी बलुआरा निवासी तस्लीम व एक अन्य दूसरी जगह बैठे थे। वे कुछ नहीं जानते थे। हमने रात खेत में बिताई।

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सुबह मौके पर ही कैंप में प्राथमिक उपचार के बाद दूसरे का मोबाइल लेकर परिजनों से बात की तो परेशान परिवार के सदस्य ने कोलकाता से एक परिचित को भिजवाया। उसके बाद हम चारों 32 हजार रुपए में निजी एंबुलेंस से बेगूसराय आ गए। तीन लोग सदर अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि नसरुल्लाह की पीठ में फ्रैक्चर होने के कारण एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि बलुआरा निवासी तसलीम और आरिया हावड़ा के अस्पताल में भर्ती हैं. हैदर का कहना है कि भगवान की कृपा से हमारी जान बच गई। ट्रेन से उतरे तो हर तरफ लाशों का ढेर था। कहीं हाथ तो कहीं पैर कटे हुए थे। पूरी रात बगल के खेत में बिताई, जहाँ मौत का कोई डर नहीं था। लेकिन मौत का खौफ रात भर बना रहा।

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