राष्ट्रपति ने इमरजेंसी को बताया लोकतंत्र का काला अध्याय, संसद में रखा ‘मोदी 3.0’ सरकार का विजन

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Parliament Session, नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने गुरुवार को संसद को संबोधित करते हुए लोगों को केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराया। इसके अलावा उन्होंने निकट भविष्य में सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में भी संकेत दिए। इस दौरान राष्ट्रपति ने आपातकाल का मुद्दा भी उठाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपातकाल को लेकर कहा कि यह लोकतंत्र के लिए एक काला दिन था, जिसे भारत का कोई भी व्यक्ति भूल नहीं सकता।

इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर किया हमला

राष्ट्रपति मुर्मू (Droupadi Murmu) ने कहा, “आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 साल पूरे करने जा रहा है। भारतीय संविधान ने पिछले दशकों में हर चुनौती और परीक्षा का सामना किया है। देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर कई हमले हुए हैं। 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल संविधान पर सीधा हमला था, जब इसे लागू किया गया तो पूरे देश में हंगामा मच गया। हम अपने संविधान को जन चेतना का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “सरकार ने अब 26 नवंबर को जम्मू-कश्मीर में संविधान दिवस मनाना शुरू कर दिया है। वहीं, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहले के मुकाबले हालात काफी सुधरे हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी जम्मू-कश्मीर में वोट प्रतिशत बढ़ा है, जो वहां स्वस्थ लोकतंत्र का संकेत देता है।”

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आपातकाल ने आम लोगों के छीन लिए अधिकार

इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी बुधवार को आपातकाल पर सदन में प्रस्ताव पारित किया था। बिरला ने कहा था, “यह सदन 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करता है। हम उन सभी लोगों की सराहना करते हैं जिन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ आपातकाल का विरोध किया। ऐसे लोगों ने भारत के लोकतंत्र को बचाया।

25 जून को भारतीय लोकतंत्र के लिहाज से हमेशा एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाकर बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया था। भारत ने हमेशा लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन किया है।”

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