कराचीः पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ अमेरिकी साजिश के इमरान खान (Imran Khan) की दलील को देश की जनता ने खारिज कर दिया है। यह बात एक सर्वे में सामने आई है। गैलप एजेंसी द्वारा कराए एक सर्वे में पाकिस्तान के 64 प्रतिशत लोगों ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिकी साजिश के इमरान सरकार के दावे को खारिज कर दिया है। सर्वे में शामिल इन लोगों ने माना कि अविश्वास प्रस्ताव की वजह देश में बढ़ती महंगाई और सरकार की विफलता है।
ये भी पढ़ें..फिर बढ़े CNG के दाम, 7 दिन में इतने रुपये की हुई बढ़ोतरी
इससे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने दावा किया था कि अमेरिका विपक्ष के साथ मिलकर उनकी सरकार को गिराना चाहता है और अविश्वास प्रस्ताव उसी का हिस्सा है। उन्होंने इसको लेकर एक पत्र का भी जिक्र किया था, जिसको लेकर 27 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक हुई थी। इसमें कहा गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने भी पत्र की भाषा को धमकी वाला बताया है। इसी साजिश को आधार बनाते हुए रविवार को नेशनल असेंबली में डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
सेना ने भी इमरान खान के इस दावे को खारिज करते हुए देश के आंतरिक मामलों में अमेरिका के हस्तक्षेप के सुबूत नहीं होने की बात कही है। अमेरिका की तरफ से कोई पत्र भी नहीं जारी किया गया है। यह कहना भी गलत है कि सरकार के इस दावे को सेना ने समर्थन किया है। सेना ने एनएससी की बैठक का विस्तृत ब्योरा भी सामने लाने को कहा है।
वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक गैलप ने तीन और चार अप्रैल को 800 घरों में सर्वे कराया था। इसमें 64 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिका का हाथ नहीं है, जबकि 36 प्रतिशत ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिका है। 54 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इमरान सरकार के कामकाज से निराश हैं। 68 प्रतिशत लोगों ने इमरान खान के चुनाव कराने के फैसले को सही बताया। 72 प्रतिशत लोगों ने अमेरिका को देश का दुश्मन बताया।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के मामले की सुनवाई कर रहे पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कथित ‘विदेशी साजिश’ के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए एनएससी की बैठक का ब्योरा (मिनट्स) मांगा है और सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है। इस बीच, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) से आगामी आम चुनाव के लिए तारीखें प्रस्तावित करने को कहा है। नेशनल असेंबली को भंग करने के बाद 90 दिन के भीतर चुनाव कराया जाना है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)