इस्लामाबादः पाकिस्तान में सिख अल्पसंख्यक समुदाय को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाकर प्रताड़ित करने की साजिशें की जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में खुलासा किया गया है कि करतारपुर-कॉरिडोर के ऑडिट में अनियमितताएं, गुलाब देवी लाहौर अंडरपास का नाम बदलकर अब्दुल सत्तार ईधी करने और खैबर पख्तूनख्वा में सरकारी कार्यालयों के अंदर सिखों के तलवार ले जाने पर प्रतिबंध लगाने जैसे मामले इसके प्रमाण हैं। नरोवाल के उपायुक्त नबीला इरफान ने पिछले साल दिसंबर में फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (एफडब्ल्यूओ) के डीजी मेजर जनरल कमल अजफर को भेजे गए एक पत्र में आरोप लगाया है कि संगठन ने करतारपुर कॉरिडोर के धन का दुरुपयोग किया है। ऑडिट के लिए जिम्मेदार पाकिस्तानी महालेखा परीक्षक की समिति (पीएसी) सार्वजनिक खातों के दस्तावेज देने से मना कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, 7 लाख सीमेंट बैग का बिल जमा किया गया है, जबकि वास्तविक उपयोग लगभग 4.29 लाख सीमेंट बैग का ही था। इसके अलावा शकरगढ़ के ईंट भट्ठा से खरीदी गई ईंटें घटिया गुणवत्ता की थीं जबकि बिल अच्छी गुणवत्ता वाली ईंटों का जमा किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स में सिखों की दुर्दशा का एक और उदाहरण दिया गया है कि पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने गुलाब देवी चेस्ट अस्पताल के सामने स्थित गुलाब-देवी-अंडरपास का नाम बदलकर अब्दुल सत्तार एधी अंडरपास कर दिया है।
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इसी बीच पेशावर हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को दिए गए आदेश में खैबर पख्तूनख्वा में न्यायिक अदालतों सहित सरकारी कार्यालयों में प्रवेश करते समय सिखों को कृपाण ले जाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सिखों को व्यक्तिगत रूप से तलवार ले जाने के लिए हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन करने को कहा है। पेशावर स्थित सिखों ने सार्वजनिक स्थानों पर तलवार ले जाने की अनुमति देने के लिए अदालत में जुलाई 2020 को एक मामला दायर किया था। सिखों ने याचिका में पेशावर हाईकोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने निर्देश दिया कि पाकिस्तान में तलवार को लाइसेंसी हथियार घोषित किया गया है, इसलिए सिखों को तलवार साथ रखने के लिए लाइसेंस हासिल करना होगा।
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