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धान की समस्याओं से मिलेगा छुटकारा, जीरो टिल मशीन से बुआई करें किसान

मोतिहारी: कृषि विज्ञान केन्द्र परसौनी के मृदा वैज्ञानिक डॉ.आशीष राय ने कहा कि बिहार में धान-गेहूं की खेती का क्षेत्रफल अन्य फसलों के तुलना में अधिक है, जहां के किसान आज भी धान की बुआई (paddy sowing) परंपरागत तरीके से हल के पीछे, मसहनी कर रोपनी या छिटा विधि से करते है। जिसमे श्रम, धन, समय व उर्वरक की लागत ज्यादा लगती है। साथ ही धान के फसल के कटनी में विलंब भी होता है। जिस कारण अगामी गेंहू खेती में विलंब हो जाता है। इसके अतिरिक्त जल जमाव वाले (चौर) जैसे खेतों में समय पर खेती नही हो पाती है।

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कृषि वैज्ञौानिक आशीष ने कहा कि ऐसे में किसान भाई धान की बुआई (paddy sowing) जीरो टिल मशीन से करे तो इन समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है। धान की उन्नत व लाभदायक खेती के लिए परंपरागत विधि से हटकर जीरो टिलेज विधि काफी लाभदायक साबित हो सकता है, क्योंकि इसका प्रयोग अधिक व कम नमी वोले खेतों में भी किया जा सकता है। अर्थात किसान भाई सामान्य बुआई से 2-3 सप्ताह पहले बुआई कर सकते हैं।

जीरो टिल बुआई के लाभ :

परंपरागत विधि की तुलना में 8000-10000 प्रति हेक्टेयर जुताई खर्च की बचत

-इस विधि से 15:20 दिन पूर्व फसल की अग्रिम बुआई हो सकती है। जिससे 20-25 प्रतिशत ज्यादा उपज होने की संभावना

-15-20 प्रतिशत पानी की बचत

– मोथा एवं अन्य खर -पतवार की संख्या में काफी कमी से सोहनी में बचत

-पंक्तिबद्ध बुआई होने से यांत्रिक विधि से खर-पतवार नियंत्रण करना आसान

-उत्पादन खर्च में काफी कमी एवं उपज में वृद्धि से किसानों के लाभ में वृद्धि ।

-कम जुताई होने से मिट्टी संरचना में गिरावट का रूकेगी।

-सिचाई एवं जुताई में कमी के कारण पम्पसेट एवं ट्रैक्टर जैसे उपकरण के रखरखाव में बचत

-धान- गेहूं फसल चक्र में दोनो की उपज में वृद्धि ।

-फसल के पौधों की गुणवत्ता में वृद्धि

जीरो टिल का कैसे करें परिचालन

-धान की कटाई के बाद खेत में बची धान के जड़ों में गेंहूं / मसूर आदि की बुआई कर सकते हैं।

-मशीन के खाद व बीज बक्सों में खाद व बीज डालने से पहले देख लें कि बक्सों में कोई चीज तो नहीं है।

-मशीन के दोनों तरफ गहराई – नियंत्रण पहिए लगे रहते हैं। इसमें लगे लंबे बोल्ट एवं नट उपर नीचे किया जा सकता है। पहिए को जितना ऊंचा रखेंगे, बुआई की गहराई बढ़ती जाएगी।

-मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ने के बाद यह सुनिश्चित करे कि फार समतल है कि नहीं। यदि फार समतल नहीं है तो ट्रैक्टर के टॉपलिंक से उसे समतल कर लें।

बीज नापने का तरीका :

बीज की निर्देशित मात्रा प्राप्त करने के लिए बीज बक्से के ऊपर एक बीज प्लेट हैंडिल के साथ लगा रहता है। बीज प्लेट के ऊपर समान दूरी पर छोटे – छोटे छेद किए गये हैं जिनके ऊपर बीज हैंडिल चलता है। इन सुरागों के उपर प्रायः एक से दस तक नम्बर लगाये गये हैं। यदि हम हैंडिल को दांए से बायें की तरफ करें , जैसे पांच नम्बर के छेद से छः नम्बर के छेद में करेंगे तो बीज की मात्रा प्रति एकड़ 05 किलो बढ़ जाएगी। इसके विपरीत हैंडिल को बांये से दायें करने पर प्रति छेद 05 किलो मात्रा कम हो जाती है।

खाद नापने का तरीका :

बीज नापने वाली प्लेट की तरफ ही खाद नापने के लिए खाद बक्से के ऊपर एक प्लेट लगी होती है। खाद की मात्रा को घटाने या बढ़ाने के लिए एक अलग हैंडिल लगाया गया है। खाद की मात्रा कम – ज्यादा करने के लिए सिर्फ हैंडिल को दांए से बाये करें तथा सूई को मत छूएं। बीज प्लेट की तरह ही खाद प्लेट के ऊपर भी नम्बर लगे हुए है। यदि हम हैंडिल की सहायता से सूई को 2 से 4 नम्बर पर करते हैं तो इससे 20 किलो प्रति एकड़ कम हो जाती है। खाद की निर्देशित मात्रा सेट करने के बाद मशीन के बांयी ओर लगे चेक नट को टाइट कर लॉक कर दें। इससे जब भी हम खाद को बन्द कर दुबारा खोलेंगे तो पहले से सेट मात्रा पर ही खुलेगी।प्रायः मशीन के पीछे एक लकड़ी की तख्ती लगी होती है जिस पर परिचालन के समय एक आदमी खड़ा हो कर खाद बीज बक्से की जांच करता रहता है। साथ ही साथ खाद या बीज के पाइपों पर भी निगरानी करता रहता है और अवरोध होने पर ड्राइवर को सूचित करता है। धान की बुआई (paddy sowing) के समय ट्रैक्टर की गति 10-15 किलो मीटर / घंटा होनी चाहिए। बुआई की गहराई भी 5 सेमी से ज्यादा होने पर धान-गेहूँ के कल्ले में कमी पायी गयी है।बुआई के बाद किसी प्रकार के पाटे का प्रयोग न करें एवं फार बनायी गयी बुआई की नाली को खुला छोड़ दें।

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