लखनऊः जिस गति से इस सीजन में बारिश हो रही है, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि धान का उत्पादन (paddy production) बेहतर होने वाला है। हालांकि, जिन खेतों में अगेती धान है, वहां की बालियां शुभ संकेत भी दे रही हैं। अभी लखनऊ शहर के नए शहरीकरण वाले इलाकों में धान की खेती देखी जा सकती है। जिन खेतों में पिछेती धान है, उनके मालिकों को भी दीपावली पर खुशियां ही मिलने वाली हैं।
उत्तर प्रदेश में धान की पैदावार (paddy production) को लेकर सरकार के अलावा किसान वैज्ञानिक फिलहाल आश्वस्त हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा पैदावार होने की उम्मीद है। धान उत्पादन में 2022 में भी रिकाॅर्ड टूटा था। 2021 का आंकड़ा 2022 में कमजोर पड़ा। इस बार उम्मीद है कि बीते दोनों रिकाॅर्ड 2023 में टूट जाएंगे। अगस्त और सितंबर में रूक-रूक कर हुई बारिश ने धान के किसानों को तनिक भी मायूस नहीं किया है। मौसम अनुकूल रहा और अच्छी बारिश हुई। इसके चलते उड़द और मूंग किसानों के लिए भी यह साल काफी खुशहाली वाला होगा।
किसानों की बढ़ेगी आय
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक, धान और मोटे अनाज की पैदावार में रिकाॅर्ड बन रहे हैं, जबकि किसान वैज्ञानिक डाॅ. सत्येंद्र सिंह का कहना है कि किसानों के लिए यह अच्छी खबर होगी कि धान की फसल से उनकी आय बढ़ने वाली है। हालंाकि, उत्पादन संबंधी किसी प्रकार के आंकड़े नहीं आए हैं लेकिन मक्का, बाजारा और उड़द की फसलों के बेहतर परिणाम आ रहे हैं।
अनौरा गांव में भी लहलहा रही फसल
लखनऊ शहर का अनौरा गांव अमौसी और बंथरा के करीब है। रिंग रोड के पास ज्यादातर जमीन पर अभी खेती की जाती है, इसमें भी धान की फसल के प्रति किसानों की रूचि अधिक रहती है। यहां के खेतों में इस बार भी धान की फसल लहलहा रही है। खेतों में अभी पानी भरा हुआ है। इससे संभावना जताई जा रही है कि अगेती धान की फसल की बेहतरी तक खेतों में अच्छी नमी बनी रहेगी। अगेती धान की फसल की बालियां काफी पुष्ट देखी जा रही हैं।
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मौसम का ध्यान रखें किसान
किसानों को आगे भी मौसम पर बराबर ध्यान रखना होगा। खेतों में खड़े धान में जल्द ही बालियां पकने लग जाएंगी। इसी क्षेत्र में पिछेती धान भी है। यद्यपि अभी इनके बारे में ज्यादा कुछ नही कहा जा सकता है, लेकिन पौधे काफी चैतन्य हैं। इनमें छोटी-छोटी बालियां भी निकलने लगी हैं। यदि मौसम ने आगे भी साथ दिया तो अगेती और पिछेती धान की खेती काफी अच्छी होगी। हालांकि, किसानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि पिछेती धान की फसल को पानी की कमी न होने दें। जब फसल फकने लगे, उनके प्रति लापरवाही नुकसानदायक बन सकती है। फसल की कटाई से लेकर दाने पाने तक काफी सतर्कता और सक्रियता की जरूरत है।
– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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