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भारी बारिश से धान, आलू के साथ लाही भी चौपट, सरसो की बुवाई पर भी असर पड़ना तय

लखनऊः शहर में पांच अक्टूबर को दिन भर हुई बारिश के कारण जगह-जगह जलभराव देखा जा रहा है। इससे जहां आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वहीं किसानों के लिए भी यह मुसीबत बनकर आई है। तमाम किसान इस बात के लिए परेशान हैं कि अगेती धान की फसल और आलू बर्बाद हो चुकी है। बारिश की वजह से खेतों में पानी भर गया है। खेतों मंे धान की फसल पककर तैयार है और उसके दाने खेतों में बिखर चुके हैं। यही नहीं कई फसलों की बुवाई भी होनी थी, उन पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। किसान वैज्ञानिकों का मानना है कि सब्जी, लाही भी इस बारिश के कारण चैपट हुई है। इसका आने वाले दिनों में बुरा असर देखने को मिलना तय है।

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राजधानी के करीब मलिहाबाद के किसान राजेश यादव ने बताया कि उनके खेत में धान की फसल करीब-करीब पककर तैयार थी, लेकिन पांच अक्टूबर को दिन भर हुई बारिश के कारण उनके खेत में पानी भर गया। इससे पूरी फसल चैपट हो गई है। इसके साथ ही पास के खेत में आलू बोया गया था। आलू के लिए बरसात का पानी काफी नुकसानदायक होता है। पहले से ही खेतों में काफी नमी थी, लेकिन फिर बारिश होने के कारण नालियों में पानी भर गया। इससे आलू का बीज सड़ने लगा है। ज्यादा पानी होने के कारण आलू के बीज का जमाव बिल्कुल नहीं होता। पांच अक्टूबर को तो जोरदार बारिश हुई थी, लेकिन छह को भी फुहारें पड़ती रहीं। इस बरसात के साथ हवाएं भी चलीं और धान की फसल धराशायी हो गई। चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. सतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अक्टूबर का समय किसानों के लिए विशेष महत्व वाला होता है। सितम्बर और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में लाही बो दी जाती है। इसमें सितम्बर में पहले ही किसान बारिश के कारण प्रभावित हुए, अब अक्टूबर में भी धमाकेदार बारिश ने तबाही ला दी है।

माना जाता है कि तिलहन की तैयारी तो सितम्बर के पहले सप्ताह में ही कर ली जाती है। उधर पश्चिम यूपी में आलू इन दिनों बो दिया जाता है, लेकिन खेतों में पानी भरने से बड़ा नुकसान होगा। यदि किसान अपने खेतों में से दो दिन में पानी नहीं निकाल सके, तो धान और आलू बर्बाद हो जाएगा। तमाम किसानों को आलू फिर बोना पड़ सकता है। पहले से ही तमाम किसानों को शिकायत थी कि इस बार हवा चलने से धान की फसल जमीन पर गिर पड़ी है, क्योंकि धान इन दिनों तैयार हालत में होता है। इसके पौधों में पक रहे दाने वजन बढ़ा देते हैं। वजन बढ़ने से पहले ही पौधे झुक जाते हैं। जब बारिश होती है, तो इनका वजन और बढ़ जाता है। इस हालत में पानी बरसने से ज्यादा नुकसान होता है। उधर तमाम किसान जो सब्जी बोते हैं, वह भी बारिश के कारण परेशान हैं। प्रमुख रूप से सब्जी वर्गीय फसलों में गाजर, मूली, चुकंदर धनिया, सोया, पालक, मेथी की बुवाई का समय चल रहा है, जबकि इन्हीं दिनों सरसों की बुवाई के लिए किसान अपने खेत तैयार कर रहे थे। अधिक बरसात होने से बुवाई भी प्रभावित हुई है। खेतों में अभी तक पानी भरा हुआ है। ज्वार, बाजरा, सफेद तिल भी नुकसान की ओर है।

  • शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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