नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित एक नाबालिग की कोख से जन्मे बच्चे को उसके जैविक पिता यानी दुष्कर्म के आरोपित को देने का आदेश दिया है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि बच्चे को शेल्टर होम में रह रही दुष्कर्म पीड़िता के साथ अभावों में नहीं रखा जा सकता है।
दुष्कर्म पीड़ित ने कोर्ट को बताया कि उसने आरोपित के साथ संबंध बनाने की सहमति दी थी। दुष्कर्म पीड़ित नौवीं क्लास में पढ़ती है। आरोपित और पीड़ित पहले से एक-दूसरे जानते हैं। पीड़ित की मां की शिकायत के मुताबिक 25 मार्च को वह सुबह स्कूल गई थी, लेकिन घर नहीं लौटी। घर वालों ने उसके अपहरण की आशंका जताते हुए पुलिस में एफआईआर लिखवाई। खोजबीन के बाद पीड़ित को पुलिस ने 15 अप्रैल को पता लगाया। पुलिस ने जब पीड़ित का मेडिकल करवाया तो पता चला कि वो पांच महीने की गर्भवती थी।
पीड़ित नाबालिग ने पुलिस को बयान दिया कि उसकी भाभी से झगड़ा होने के बाद वो 25 मार्च को घर छोड़कर अपने एक दोस्त के यहां चली गई थी। उस दिन उसकी मां अपने मायके गई थी। उसने अपने पांच महीने के गर्भ के बारे में बताते हुए कहा कि वो चार-पांच महीने पहले अपने एक दोस्त के यहां चली गई थी जहां किसी ने उसे कुछ पीने को दिया। उसके बाद उसके साथ क्या हुआ उसे पता नहीं चला। उसने यही बात डॉक्टर और कोर्ट को बताई।
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पीड़ित लड़की ने कहा कि वो आरोपित के साथ ही रहना चाहती है और अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती है। तब कोर्ट ने कहा कि पीड़ित अभी नाबालिग है इसलिए उसे आरोपित के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने उसे एक आश्रय स्थल पर भेज दिया। सुनवाई के दौरान पीड़ित के बच्चे की देखरेख का सवाल उठा तो पीड़ित ने कहा कि बच्चे को आरोपित के साथ रहने दिया जाए। तब कोर्ट ने कहा कि पीड़ित के साथ बच्ची को आश्रय स्थल पर रहने नहीं दिया जा सकता और बच्चे को आरोपित और उसके जैविक पिता के साथ रहने की अनुमति दी।
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