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अंधाधुंध दोहन के चलते धरती में पानी खत्म होने के कगार पर, वर्षा जल संचयन की योजनाएं फाइलों में दफन

कौशाम्बीः अंधाधुंध दोहन और वर्षा का जल संचयन न होने से धरती के अंदर का पानी खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा। खतरे की यह घंटी उत्तर प्रदेश के द्वाबा क्षेत्र में कुछ अधिक ही बज उठी है। दरअसल, भूगर्भ विभाग के धरती के नीचे का जलस्तर बताने वाले 62 स्थान पर लगे पीजोमीटर ने काम करना बंद कर दिया है। पिछले पांच साल से स्थिति दिनोदिन भयावह होती जा रही है। अफसरों ने समस्या को गंभीरता से लेकर वर्षा जल संचयन की तमाम योजनाएं तैयार कीं, लेकिन वह केवल सरकारी फाइलों में ही दबकर रह गई। भौगोलिक रूप से गंगा और यमुना नदी के द्वाबा में बसा कौशाम्बी जनपद मौजूदा समय में भीषण भू-गर्भ जल संकट से जूझ रहा है। आठ में से छह विकास खंड डार्क जोन घोषित हो चुके हैं। इनमें जनपद मुख्यालय मंझनपुर, सिराथू, कड़ा, मूरतगंज, नेवादा, एवं चायल शामिल है।

रोक के बावजूद बिगड़ते रहे हालात शासन ने डार्क जोन घोषित इलाकों में निशुल्क बोरिंग योजना पर रोक लगा दी। भूगर्भ जलस्तर पर पैनी नजर रखने के लिए 157 स्थानों को चिह्नित कर पीजोमीटर (भूगर्भ जल मापक यंत्र) लगाया। इस यंत्र के जरिये वर्ष में दो बार (प्री मानसून एवं पोस्ट मानसून) भूगर्भ जल स्तर मापने का काम शुरू किया गया। पता चला कि एक दशक के दौरान स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई।

61 पीजोमीटर बने शोपीस विभागीय अफसर बताते हैं वर्ष 2010 से 2020 के बीच 157 में 61 स्थानों पर धरती का पानी इतना नीचे चला गया कि भूगर्भ जल विभाग के पीजोमीटर ने काम करना बंद कर दिया। पिछले पांच साल से इन स्थानों पर लगे पीजोमीटर रिपोर्ट नहीं दे पा रहे हैं। इनमें से कई गावों के पीजोमीटर बदलकर दूसरे गांव में लगाए गए, पर कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला, बल्कि छह ऐसे स्थान मिले जहां लगे भूगर्भ मापक यंत्र चोक कर गया। भूगर्भ जल विभाग का मानना है कि यह बेहद खतरनाक स्थिति के संकेत है।

भू-गर्भ विभाग की रिपोर्ट पर शुरू हुई कवायद नाकाम भू-गर्भ विभाग के अफसरों की रिपोर्ट पर प्रशासनिक अधिकारियों ने भू-गर्भ जल स्तर बढ़ाये जाने की कवायद शुरू की। तालाब की खुदाई, बरसाती नदियों में चेक डैम, गांव गांव शोकपिट आदि की कवायद तेज की गई, लेकिन काम जमीन पर सार्थक नतीजे देने से पहले ही सरकारी फाइलों की शोभा बढ़ाने लगे।

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ब्लॉक वार लगाए गए पीजोमीटर की स्थिति ब्लॉक चायल में 11 पीजोमीटर लगाए गए। जिनमें 4 माप नहीं कर पा रहे हैं, जबकि एक पीजोमीटर चोक हो गया। ब्लॉक कड़ा में 20 पीजोमीटर लगाए गए, जिनमें 10 माप नहीं कर पा रहे है। ब्लॉक कौशाम्बी में 16 पीजोमीटर लगाए गए और उनमें 7 माप नहीं कर पा रहे है, जबकि 2 चोक हो गए। ब्लॉक मंझनपुर में 21 पीजोमीटर लगाए गए। आज उनमें से 8 माप नहीं कर रहे जबकि 1 चोक हो गया। ब्लॉक मूरतगंज में 27 पीजोमीटर लगाए गए, जहां 6 माप नहीं कर रहे जबकि 1 चोक हो गया। इसी तरह ब्लॉक नेवादा में 20 पीजोमीटर लगाए गए और उनमें भी 9 माप नहीं कर पा रहे। ब्लॉक सरसवां में 17 पीजोमीटर लगाए गए थे, जिनमें 9 माप नहीं कर पा रहे। ब्लॉक सिराथू में 25 पीजोमीटर लगाए गए और वहां भी 1 माप नहीं कर पा रहा, जबकि 1 चोक कर गया।

क्या कहते हैं अफसर सीडीओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि भूगर्भ जल स्तर बढ़ाये जाने के लिए व्यापक कार्य योजना पर काम किया जा रहा है। जल संचयन व संरक्षण के मद्देनजर बरसाती नदियों में चेकडैम, गांव में तालाब की खुदाई, हैंडपंप के पास सोकपिट व खेतों में बंधा बनाये जाने का काम कराया जा रहा है।