spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeआस्थानवरात्रि के चौथे दिन भक्तों ने की माता कुष्माण्डा देवी की आराधना

नवरात्रि के चौथे दिन भक्तों ने की माता कुष्माण्डा देवी की आराधना

कानपुरः चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन भक्तों ने मंदिर व घरों में माता कुष्माण्डा देवी रूप की पूजा अर्चना कर पूरे विश्व में फैले कोरोना रूपी दैत्य से निजात दिलाने की गुहार लगाई है। भक्तों ने कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए दर्शन किए। बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी मंदिर के पुजारी नरेश का कहना है कि चैत्र माह में पड़ रहे नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंल मन से कुष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।

जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल माता कुष्मांडा देवी में होती है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही मानी गई है। माता कुष्मांडा के तेज और प्रकाश से दसों दिशा प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है।

यह भी पढ़ेंः अभिनेत्री राधिका मदान का बोल्ड अंदाज कर रहा आकर्षित, फैंस कर…

पुजारी का कहना है कि माता कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं होती हैं। ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र व गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। माता का वाहन सिंह (शेर) माना गया है। माता कुष्मांडा की उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। इस बार कोरोना का प्रकोप ज्यादा स्तर से बढ़ रहा है। जिसको देखते हुए हम मंदिरों में न जाकर घर में ही स्थापित कलश व माता रानी की पूजा अर्चना कर कोरोना से निजात दिलाने की कामना कर रहे है।

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें