लखनऊः आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन से सर्दी के मौसम की शुरूआत होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को आसमान से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भक्ति भाव से आराधना और पूजन करने से घर में सुख संपत्ति का वास होता है। इस तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे समीप आ जाता है और उसकी किरणों में अमृत का वास होता हैं। इस दिन चंद्रमा भी अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण नजर आता है।पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि को व्रज में भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। इसलिए इसे कौमुदी महोत्सव य रासोत्सव भी कहते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और धन के देवता भगवान कुबेर की भी आराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
मां लक्ष्मी का मंत्र
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की आराधना करने के साथ ही इस मंत्र का जाप अवश्य ही करना चाहिए।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
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भगवान कुबेर की पूजा का मंत्र
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कुबेर की भी विधिवत पूजा करने के साथ इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से सुख-समृद्धि, धन संपदा की प्राप्ति होती है।
ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।
चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने का महत्व
शरद पूर्णिमा पर मान्यता है कि इस तिथि में चंद्रमा की चांदनी में अमृत का वास होता है इसलिए उसकी किरणों में अमृत्व और आरोग्य की प्राप्ति सुलभ होती है। इस तिथि में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को खीर का भोग लगाया जाता है। रात को चंद्रमा की चांदनी में खीर को रखा जाता है। दूसरे दिन सुबह उसको प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।
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