जम्मूः दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बिना गठबंधन के लड़ रही हैं। यहां तक कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल के सामने भी अपना मजबूत कैंडिडेट उतारा है। वहीं अन्य आप के बड़े नेताओं के सामने भी अपने उम्मीदवार उतारने शुरू कर दिए हैं। ऐसा ही नजारा पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिला था जहां INDIA गठबंधन की सहयोगी और दिग्गज नेता ममता बनर्जी ने किसी की भी बात न मानते हुए पूरे राज्य में अपने उम्मीदवार उतारे थे और गठबंधन से नाता तोड़ा लिया था या यूं कहें कि कांग्रेस की कोई भी शर्त नहीं मानी थी।
ममता, अखिलेश और तेजस्वी के बदले सुर
अब बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी के उपचुनावों की सभी सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इतिहास की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी जिसका श्रेय इंडिया गठबंधन और दो लड़कों की जोड़ी को दिया गया।के बाद भी अखिलेश ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने का इशारा जरूर दे दिया है। इसका उदाहरण ऐसे भी देखा जा सकता है जब संभल में जामा मस्जिद के सर्वे में हुए दंगे हुए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने वहां के स्थानीय लोगों से मिलने की पुरजोर कोशिश की थी। वहां न पहुंच पाने पर राहुल गांधी ने हाथरस के पीड़ितो से मुलाकात की, ऐसे में अखिलेश यादव को अपना कोर वोट बैंक सरकता हुआ दिखाई पड़ रहा है । शायद यहीं वजह कि जब कांग्रेस को इंडिया गंठबंधन से बाहर करने की चर्चा चल है तो अखिलेश भी चुप्पी के साथ ही इस बात का सपोर्ट भी कर रहे हैं।
ममता बनर्जी और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव ने तो इस बात को स्वीकार कर लिया है कि गठबंधन से कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए। अब ऐसे समय में कई अन्य पार्टी के नेता ने इस सुर में सुर मिला लिये है । इस तरह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री (Jammu and Kashmir Chief Minister) उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने गुरुवार को इंडिया ब्लॉक के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं होने पर निराशा जताते हुए कहा कि इसके नेतृत्व और एजेंडे के बारे में स्पष्टता की कमी है। उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन केवल संसदीय चुनावों के लिए है, तो इसे खत्म कर देना चाहिए। अब्दुल्ला ने गुरुवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली में विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें गठबंधन के सभी सदस्यों को बैठक के लिए बुलाना चाहिए।
राजनीतिक दल तय करेंगे कैसे होगा मुकाबला
अब्दुल्ला ने कहा, “अगर यह गठबंधन केवल संसदीय चुनावों के लिए है, तो इसे खत्म कर देना चाहिए और हम अलग-अलग काम करेंगे, लेकिन अगर यह विधानसभा चुनावों के लिए भी है, तो हमें एक साथ बैठकर सामूहिक रूप से काम करना होगा।” आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल तय करेंगे कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रभावी ढंग से मुकाबला कैसे किया जाए। उमर अब्दुल्ला राजद नेता के इस बयान के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे कि इंडिया ब्लॉक केवल लोकसभा चुनावों के लिए है। उन्होंने कहा, “जहां तक मुझे याद है, इसके लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की गई थी। मुद्दा यह है कि इंडिया ब्लॉक की कोई बैठक नहीं बुलाई जा रही है।”
चुनावों के बाद बुलाई जा सकती है बैठक
उन्होंने दावा किया कि मुख्य नेतृत्व, पार्टी या भविष्य की रणनीति (इंडिया ब्लॉक में) के एजेंडे के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह गठबंधन जारी रहेगा या नहीं। अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि शायद दिल्ली चुनाव के बाद इंडिया ब्लॉक के सदस्यों को बैठक के लिए बुलाया जाएगा और स्पष्टता सामने आएगी। अगले महीने दिल्ली चुनाव से पहले आप के लिए बढ़ते समर्थन पर एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मैं अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि दिल्ली चुनाव से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल तय करेंगे कि भाजपा का मजबूती से मुकाबला कैसे किया जाए।”
दिल्ली में आप को दो बार सफलता मिली है, इस पर अब्दुल्ला ने कहा, “इस बार हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि दिल्ली की जनता क्या फैसला करती है।” जम्मू-कश्मीर विधानसभा गुरुवार को नवनिर्वाचित विधायकों के लिए एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित कर रही है। उमर ने कहा, “हममें से कई लोग पहले भी इस सदन के सदस्य रहे हैं, लेकिन वह तब की बात है जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य था। आज व्यवस्था अलग है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि हम कैसे काम करने जा रहे हैं और इस विधानसभा की क्या शक्तियां हैं।
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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि स्पीकर ने इस व्यवस्था की प्रक्रियाओं से सभी को परिचित कराने के लिए एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया है। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास में राज्यसभा के उपसभापति ने भी हिस्सा लिया। मेरा मानना है कि वरिष्ठ सदस्यों का अनुभव लाभदायक साबित होगा। आने वाले सत्रों में विधायक बेहतर तरीके से लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे और उनके मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाएंगे।
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