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एक आर्मी अफसर ने भारत को 13 साल बाद दिलाया गोल्ड, ऐसी है नीरज चोपड़ा के स्वर्ण जीतने की पूरी कहानी….

नई दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक में आज भारत का ऐतिहासिक दिन रहा। भाला फेंक में एथलीट नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 13 साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। वह देश के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं, जबकि एथलीट में पहले।

नीरज की इस सफलता के साथ भारत 1 स्वर्ण, 2 रजत और चार कांस्य के साथ टोक्यो ओलंपिक का समापन करेगा। भारत के लिए यह ऐतिहासिक स्वर्ण है। भारत ने इससे पहले इस एथलेटिक्स इवेंट्स में कोई पदक नहीं जीता था, लेकिन अब जब पदक आया तो वह सीधे स्वर्ण।

पहले ही प्रयास में 87.03 की नापी दूरी

बता दें कि नीरज (Neeraj Chopra) ने अपने पहले प्रयास में 87.03 की दूरी नापी और लीडरबोर्ड में पहले स्थान पर पहुंच गए। दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 भाला फेंका और लीडरबोर्ड पर खुद को मजबूत किया और एक लिहाज से पदक पक्का कर लिया। 86.67 मीटर के साथ चेक गणराज्य के याकुब वाल्देज दूसरे स्थान पर रहे जबकि उनके ही देश के विटेस्लाव वेसेली को 85.44 मीटर के साथ कांस्य मिला।

इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने दिया था भारत को गोल्ड

बता दें कि नीरज से पहले अभिनव बिंद्रा ने 13 साल पहले बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। अभिनव ने हालांकि यह स्वर्ण निशानेबाजी में जीता था। यहां टोक्यो में नीरज ने जो किया है वह ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले भारत को ओलंपिक में एथलेटिक्स इवेंट्स में कभी कोई पदक नहीं मिला।

कौन है एथलेटिक्स नीरज चौपड़ा ?

ओलंपिक खेलों में पहली बार हिस्सा लेने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) सेना में अधिकारी हैं । 24 दिसंबर 1997 में हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में जन्मे नीरज चौपड़ा एक छोटे से किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर टोक्यो में भारत का गर्व से तिरंगा ऊंचा किया।

एथलेटिक्स नीरज ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ से की। नीरज ने इससे पहले 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था, जिसके दम पर उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति मिली थी।

इसके अवाला नीरज ने 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था।हालांकि 2018 में एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करने के बाद उन्हें कंधे की चोट का शिकार हो गए। इस दौरान नीरज काफी वक्त तक खेल से दूर रहे।

23 वर्ष की उम्र में इतिहास रचकर युवाओं के लिये बने प्रेरणा

दरअसल भारत में क्रिकेट खिलाडियों के अलावा अन्य खिलाड़ियों को उतनी पहचान नहीं मिलती जितनी उनको मिलनी चाहिए। लेकिन नीरज चोपड़ा केवल 23 वर्ष की उम्र में इतिहास रचकर युवाओं के लिये प्रेरणा बन गये। इसके बाद शानदार वापसी करते हुए इसी साल मार्च में हुई इंडियन ग्रांड प्रिक्स में नीरज ने 88.07 मीटर का थ्रो कर अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया था। अब टोक्यो ओलंपिक में नीरज जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भारत को 13 साल बाद गोल्ड दिलाया।

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