नई दिल्लीः मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सु्प्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि अब केवल केंद्र सरकार सीईसी और ईसी की नियुक्ति नही करेगी, बल्कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति की सहमति के साथ ही सीईसी और ईसी की नियुक्ति की जाएगी।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, वर्ना इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। कोर्ट ने कहा कि भारत का निर्वाचन आयोग (ईसीआई) स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है और उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना चाहिए।
इलेक्शन कमीशन की निष्पक्षता सबसे जरूरी
जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एकमत से फैसला सुनाया। बता दें कि पीठ ने पिछले साल 24 नवंबर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज कोर्ट ने सभी की सहमति लेते हुए और चुनाव प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा हुआ बताया। संविधान पीठ ने कहा कि भारत का निर्वाचन आयोग स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है और उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करना चाहिए।
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