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हुनर हाटः ओडीओपी ने बदली कारोबारियों की किस्मत, लोगों को लुभा रहे हस्तनिर्मित उत्पाद

लखनऊः राजधानी के अवध शिल्प ग्राम में चल रहा हुनर हाट मेला देश के हजारों हुनरमंद दस्तकारों और शिल्पकारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। देश के 31 राज्यों के अलावा यूपी के हर जिले के हस्तनिर्मित उत्पाद लोगों को खूब लुभा रहे हैं, तो कारोबारियों को भी
अच्छी-खासी आमदनी हो रही है।

23 जनवरी से चल रहे हुनर हाट मेले का समापन 4 फरवरी को होगा। यहां पर आंध्र, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 500 हुनरमंद अपने उत्पादों के साथ मौजूद है। यहां पर अजरख, एप्लिक, आर्ट मैटल वेयर, बाग प्रिंट बाटिक, बनारसी साड़ी, बंधेज, बस्तर की जड़ी-बूटिया, स्लैक पॉटरी, ब्लॉक प्रिंट, बैत-बांस के उत्पाद, चिकनकारी, कॉपर बेल, ड्राई फ्लावर्स, खादी के उत्पाद, कोटा सिल्क, लाख की चूडिय़ों, लेदर, पश्मीना शाल, रामपुरी वायलिन, लकड़ी एवं लोहे के खिलाने, काया एम्ब्रोइडरी, पीतल, क्रिस्टल ग्लास के आइटम, चन्दन की कलाकृतियों के स्वदेशी हस्तनिर्मित एक से बढ़कर एक नायाब उत्पाद बिक रहे हैं। यहां पर हर दिन लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है और हस्तनिर्मित उत्पाद लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं। कारोबार अच्छा होने से देश के विभिन्न राज्यों व प्रदेश के सभी जिलों से आए कारोबारी भी काफी खुश हैं।

ओडीओपी योजना ने बदली इनकी किस्मत

योगी सरकार द्वारा जिले के उत्पादों को एक अलग पहचान देने और उनकी ब्रांडिंग करने के लिए उठाए गए प्रभावी कदमों और एक जिला-एक उत्पाद योजना ने तमाम लोगों की किस्मत बदल दी है। पहले जहां लोगों को हस्तनिर्मित उत्पादों को बेचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी, वहीं अब उन्हें बेहतर बाजार मिल रहा है। न सिर्फ जिलों में उनके उत्पाद बिक रहे हैं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से उन्हें ऑर्डर मिल रहे हैं।

1- हुनर हाट में स्टाल लगाने वाली झांसी की अनीता पाल की किस्मत ओडीओपी योजना ने बदल दी है। 2005 से कपड़ों के ट्वाय बनाने वाली अनीता के उत्पाद को ओडीओपी में शामिल किया गया, तो उनके कारोबार को एक नई दिशा मिल गई। अनीता ने बताया कि मैंने साल 2005 में यह कारोबार 10 हजार रूपए की पूंजी से शुरू किया था, लेकिन अपेक्षित सफलता नही मिली। ओडीओपी में उत्पाद के शामिल होने के बाद मैंने 2 लाख रूपए का लोन लिया और कारोबार को बढ़ाना शुरू किया। बताया कि मेरे साथ करीब 10 गरीब महिलाएं ट्वाय बनाने का काम करती हैं, जिन्हंे भी अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है। बताया कि अब न सिर्फ जिले में मेरे उत्पाद बिक रहे हैं, बल्कि जगह-जगह लगने वाले हुनर हाट व मेलों से अच्छा कारोबार हो जाता है।

2- ओडीओपी योजना में शामिल होने के बाद अलीगढ़ के ताले को एक नई ऊर्जा मिल गई है। हुनर हाट में स्टाल लगाने वाले अलीगढ़ निवासी धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि पिताजी के जमाने से हम लोग यह कारोबार कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में इस योजना से काफी लाभ मिला है। बताया कि अब आसानी से लोन मिल जाता है और जगह-जगह लगने वाले हाट व मेलों से भी काफी अच्छी ब्रांडिंग हो जाती है। बताया कि मेरे यहां अलग-अलग फैक्ट्रियों में हर दिन करीब 1 हजार तालों का निर्माण होता है, जिसमें दर्जनों की संख्या में लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है।

3- पीलीभीत की बांसुरी अब सिर्फ देश में ही नही बल्कि विदेशों में भी लोगों को खूब लुभा रही है। ओडीओपी में शामिल बांसुरी के कारोबार को अब पंख लग गए हैं, क्योंकि अब इसकी मांग देश के अलावा विदेशों में भी होने लगी है। पीलीभीत के अमन नबी ने बताया कि हमारे यहां 200 लोग काम करते हैं और प्रतिदिन 1000-1500 बांसुरी तैयार की जाती है। जिनकी कीमत 10 रूपए से लेकर 10 हजार तक है, हालांकि महंगी बांसुरी को ऑर्डर मिलने के बाद ही बनाया जाता है। बताया कि ओडीओपी में शामिल होने से बांसुरी के कारोबार में काफी तेजी आई है।

4- गोंडा जिले से आकर स्टाल लगाने वाले उत्कर्ष सिंह ने बताया कि ओडीओपी में शामिल होने से दाल व मक्का को काफी प्रसिद्धि मिली है। बताया कि जिले के किसान अब इसकी खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं और उनको अच्छी कीमत भी मिल रही है। उत्कर्ष ने बताया कि स्टाल पर दाल, मक्का के आटे के अलावा अचार, शहद, मशरूम आदि भी हैं, जिनकी यहां काफी अच्छी बिक्री हो रही है।

5- बस्ती जनपद के सिकंदरपुर के रहने वाले सुल्तान अहमद ने बताया कि ओडीओपी योजना फर्नीचर व्यवसाय के लिए काफी कारगर साबित हुई है। पल्ला, खिड़की डोर, फ्रेम, मोहारा के अलावा खड़ाऊ, खजड़ी, घंटा आदि का भी हमारे यहां निर्माण होता है। बताया कि कुशल कारीगरों द्वारा इसका निर्माण होता है। अब योजना में शामिल होने के बाद जिले के अलग-अलग हिस्सों के अलावा गैर-जनपदों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। जिससे कारोबार को एक नई दिशा मिली है।

सहारनपुर के फर्नीचर व रामपुर के वायलिन की अच्छी मांग

हुनर हाट में अपना स्टाल लगाए सहारनपुर के मो. सलमान मिर्जा ने बताया कि फर्नीचर का व्यवसाय वह करीब 15 सालों से कर रहे हैं। इसके लिए वह शीशम की लकड़ियों का ज्यादातर प्रयोग करते हैं और बारीक आरे से चाबी के छल्ले व अन्य उत्पाद भी बनाते हैं। बताया कि फर्नीचर पर वर्निंग, पॉलिश व फिनिशिंग का काम हमारे यहां ही किया जाता है, जिसमें करीब 20 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। बताया कि यहां पर लकड़ी के छल्ले लोगों द्वारा काफी पसंद किए जा रहे हैं और अब हमारे उत्पादों की अच्छी मांग है।

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रामपुर जिले आकर हुनर हाट में स्टाल लगाने वाले अजहरूद्दीन ने बताया कि हमारे यहां बनने वाले वायलिन की पूरे देश में अच्छी मांग रहती है। बताया कि वायलिन को खास तरीके से बनाने के लिए अमेरिका और जर्मनी से टेक्स्चर वाली लकड़ियां मंगाई जाती हैं। बताया कि वायलिन के अलावा हमारे यहां उद व गिटार भी बनाए जाते हैं और अलग-अलग फैक्ट्रियों में करीब 200 लोगों को इस व्यवसाय से रोजगार मिला हुआ है। हुनर हाट में काफी अच्छी मांग हो रही है और लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं।

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