आदिवासियों के अधिकारों के लिए पूरी दुनिया में एकजुटता लाना उद्देश्यः सीएम भूपेश बघेल

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रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पूरी दुनिया के आदिम सांस्कृतिक मूल्यों को जब हम बचाए रखेंगे, तभी हमारी एकजुटता बची रहेगी और प्राकृतिक संतुलन के साथ विकास की अवधारणा साकार हो सकेगी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों के लिए पूरी दुनिया में एकजुटता कायम करना है।

मुख्यमंत्री बघेल ने मंगलवार को साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित एक समारोह में तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का शुभारंभ करने के बाद सबोधित कर रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं आदिवासी वाद्ययंत्र नगाड़ा बजाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने सभी राज्यों के नर्तक दल और विदेशी मेहमानों का हार्दिक स्वागत करते हुए प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस और तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की बधाई दी।

देश-विदेश के कलाकारों ने दीं प्रस्तुतियां-

स्वागत कार्यक्रम में देश के 28 राज्यों, सात केन्द्र शासित प्रदेश सहित 10 देश मोज़ाम्बिक, टोगो, इजिप्ट, मंगोलिया, इंडोनेशिया, रूस, न्यूजीलैंड, सर्बिया, रवांडा और मालदीव के कलाकारों ने आदिवासी नृत्य की झलक दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इस आयोजन में लगभग 1500 देसी और विदेशी कलाकार भाग ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अवसर पर पोस्टल विभाग के जारी किए गए पोस्टल स्टाम्प, लिफाफे तथा वर्ष 2021 के राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की काफी टेबल बुक का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में मोजाम्बिक, रसिया और मंगोलिया के आदिवासी नर्तक दलों ने अपनी विशिष्ट शैली में मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी।

दुनियाभर के आदिवासियों के हृदय का भाव एक-

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही पुराना नृत्य का इतिहास है। दुनियाभर के आदिवासियों की नृत्य शैली, वाद्ययंत्र में समानता है। यह अद्भुद संयोग है कि दुनियाभर के आदिवासी नृत्यों की शैली, ताल, लय में बहुत समानताएं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी दुनिया के आदिवासियों का हृदय एक ही है। उन हृदयों के भाव एक ही हैं। उनके सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं एक ही हैं। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्देश्य आदिम संस्कृति को बचाये रखना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ का राज्य स्थापना दिवस है। आज हमारा विजय दिवस है, क्योंकि आज ही के दिन हमारे पुरखों का संघर्ष सफल हुआ था। इसीलिए 1 नवंबर को छत्तीसगढ़िया लोगों का दिल उल्लास से भरा होता है। राज्य स्थापना दिवस के साथ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का यह स्वभाविक संगम है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी कलाकारों को विदेश में प्रस्तुति का अवसर और मंच मिलने से आदिवासी संस्कृति के प्रसार और विनिमय का दायरा बढ़ेगा।

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छत्तीसगढ़ सरकार ने बढ़ाया आदिवासियों का मान-

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लिए आज गौरव का दिन है। आदिवासियों के सम्मान को और ऊंचाई देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, मूल विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए जनमत मिला था। पर्यटन एवं गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पिछले चार वर्ष में राज्य सरकार गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। अपनी संस्कृति और परम्परा संरक्षित और संवर्धित करने का काम कर रही है। कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित कर छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों का सम्मान बढ़ाया है।

कार्यक्रम में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, आदिमजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री रूद्र कुमार, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के अलावा ईजिप्ट के काउंसलर इमेज, टोगो के माजा, हरियाणा के प्रमुख सचिव संस्कृति डी. सुरेश सहित अनेक जनप्रतिनिधि और नागरिकगण उपस्थित थे।

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