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Nurses strike: हाईकोर्ट हुआ सख्त, राज्य सरकार से पूछा अब तक क्या कार्रवाई की

nurses   भोपाल: राज्य में नर्सों की हड़ताल (Nurses strike) के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने पूछा है कि सरकार ने हड़ताल करने वालों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सरकार को दो दिन के भीतर शपथ पत्र पर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहती है तो अदालत सख्त आदेश देने से परहेज नहीं करेगी। इस मामले पर 17 जुलाई को दोबारा सुनवाई होगी। गौरतलब है कि साल 2021 में कोविड के दौरान नर्सों ने कामबंद हड़ताल की थी। इस हड़ताल को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। तब हाई कोर्ट ने हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया और नर्सों को तुरंत काम पर लौटने को कहा। हाई कोर्ट ने अपने पहले आदेश में यह भी कहा था कि नर्सें हड़ताल अवधि के वेतन की हकदार नहीं होंगी। इसी याचिका के तहत शुक्रवार को नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से अंतरिम आवेदन पेश किया गया।

यह तर्क जनहित याचिका में दिया गया है

जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय उपस्थित हुए। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद नर्सिंग एसोसिएशन ने 10 जुलाई से दोबारा हड़ताल शुरू कर दी है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा हड़ताल करना अवैध है। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशीष बर्नार्ड ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब हड़ताल अवैध है तो हड़ताल करने वालों पर क्या कार्रवाई की गई। हाईकोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र पर जवाब पेश करने का निर्देश दिया।

नर्सिंग मामले में कोर्ट में पेश हुए डीएमई, देरी के लिए मांगी माफी

मध्य प्रदेश नर्सिंग घोटाला मामले में शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट के पूर्व निर्देशों के पालन में प्रदेश के संचालक चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) अरुण श्रीवास्तव दोबारा उपस्थित हुए। उन्होंने वर्ष 2021-22 में प्रदेश के कई अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने के आरोप में फंसी मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू के खिलाफ कार्रवाई में देरी के लिए माफी मांगी। उन्होंने हाई कोर्ट को आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व रजिस्ट्रार को भोपाल या इंदौर के बजाय कहीं और पदस्थ किया जाएगा। डीएमई की दलील को रिकॉर्ड पर लेते हुए मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है। यह भी पढ़ेंः-इसौली सपा MLA ताहिर खान की नई पहल, सिविल सेवा की तैयारी के लिए खोली पहली कोचिंग

सरकार ने भी दिया है आश्वासन

इससे पहले राज्य सरकार से पूछा गया था कि जब अगस्त 2022 में हाई कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रार को हटाकर प्रशासक नियुक्त कर दिया था तो सरकार बिना अनुमति के नए रजिस्ट्रार की नियुक्ति क्यों कर रही है। इस पर सरकार ने आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के अंदर नये रजिस्ट्रार को हटा दिया जायेगा। सरकार ने वर्तमान प्रशासन डॉ.योगेश शर्मा के स्थान पर नया प्रशासक नियुक्त करने की अनुमति मांगी। हाईकोर्ट ने इसके लिए सरकार को स्वतंत्र कर दिया।

खुले दरबार में वीआईपी ट्रीटमेंट की पोल खुली

याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता आलोक बागरेचा और दीपक तिवारी ने खुली अदालत में नोटशीट और दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि पूर्व रजिस्ट्रार को निलंबन के बाद विदिशा ट्रांसफर होते ही वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था। बाद में एक दिन में आदेश बदलकर सतपुड़ा भवन भोपाल कर दिया गया। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस संबंध में दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखने और सरकार को जवाब देने को कहा। अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)