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अस्पतालों में बढ़ी कोविड स्ट्रेस डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या

लखनऊः राजधानी के अस्पतालों में ओपीडी चालू हो चुकी है और मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अस्पतालों में ऐसे मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं, जो कोरोना संक्रमित नही हुए लेकिन उनके मन में इसका डर बैठा हुआ है। ऐसे में डाॅक्टर पूरी सतर्कता से उनका इलाज करने में जुटे हुए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे मरीज कोविड स्ट्रेस डिसऑर्डर या इलनेस एंजाइटी या पैनिक डिसऑर्डर के शिकार है। राजधानी के अस्पतालों में आ रहे ऐसे मरीजों का इलाज डाॅक्टर पूरी समझदारी से कर रहे हैं। चिकित्सक मरीजों को बिना दवा के सिर्फ कुछ व्यायाम बता रहे हैं और किसी बीमारी के विषय में ज्यादा न सोचने की सलाह भी दे रहे हैं। कोविड स्ट्रेस डिसऑर्डर से ज्यादातर वहीं लोग पीड़ित हैं, जिनके घर में कोई कोविड से संक्रमित हो चुका हो।

कोविड की लगातार आने वाली खबरों और सोशल मीडिया में वायरल हो रहे भ्रामक तथ्य को पढ़कर ऐसे लोगों को लगता है कि वह किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है। खुद के साथ होने वाले छोटे से छोटे लक्षण को भी वह किसी बड़ी बीमारी से जोड़कर देख रहे हैं। सिविल अस्पताल की ऑनलाइन ओपीडी से मिली जानकारी के अनुसार, लगभग 10 से 15 फीसदी मरीज कोविड स्ट्रेस डिसऑर्डर के शिकार डाॅक्टर से सलाह मांग रहे हैं। आरएसएम हाॅस्पिटल के निदेशक सुमित महाराज के अनुसार पैनिक डिसऑर्डर के रोजाना 5-7 मरीज आ रहे हैं। ये मरीज बहुत छोटी-छोटी परेशानियों को लेकर भयभीत है और सांस फूलना, वजन घटना, चक्कर आना जैसे लक्षणों को किसी न किसी बड़ी बीमारी से जोड़ रहे हैं। हालांकि जांच में सब कुछ नार्मल पाया जाता है। उसके बाद उन्हें काउंसिलिंग देकर और कुछ साधारण व्यायाम बताकर घर भेज दिया जाता है। आर्थिक रूप से संपन्न मरीज तो दूसरी महंगी जांचों के लिए दबाव भी बनाते हैं। माइल्ड लक्षण वालों को बिना दवा के ही इलाज किया जाता है।

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक एवं निदेशक डा. सुभाष चंद्र सुन्द्रियाल ने कहा कि लोगों में कोरोना का डर इस कदर बैठ गया है कि छोटी से छोटी बीमारी को भी वह कोविड से जोड़कर देखने शुरू कर चुके हैं। 10 में से 4 मरीज कोविड स्ट्रेस डिसऑर्डर के आ रहे हैं। हम उनके जेहन से डर को दूर करने के लिए सलाह देने के अलावा कुछ व्यायाम के स्टेप के बारे में जानकारी देते हैं। कुछ तो नींद न आने या ज्यादा थकान लगने को भी कोविड से जोड़कर देखते हैं। उन लोगों को भी स्क्रीन एक्सपोजर यानी कम्प्यूटर, मोबाइल, लैपटाॅप का अत्यधिक इस्तेमाल करने या बहुत पास से टीवी देखने से मना किया जा रहा है।