चंडीगढ़ः नूंह में हिंसा (Nuh violence) की घटना के बाद प्रशासन द्वारा की गई तोड़फोड़ पर रोक के मामले में अब मुख्य न्यायाधीश पर आधारित पीठ अगली सुनवाई करेगी। शुक्रवार को हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण पल्ली पर आधारित बेंच ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया और सुनवाई से इनकार कर दिया।
बड़ी संख्या में गिराए गए मकान
31 जुलाई को नूंह में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। इन घटनाओं में छह लोगों की मौत हो गई है और बड़ी संख्या में संपत्ति नष्ट हो गई है। इसके बाद 2 अगस्त से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, नूंह प्रशासन और जिला योजना विभाग की टीमों द्वारा नूंह में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई। इस अभियान के तहत जहां हजारों कच्चे निर्माण हटाए गए हैं, वहीं बड़ी संख्या में पक्के निर्माण भी ध्वस्त किए गए हैं। इस दौरान 753 से ज्यादा घर, दुकानें, शोरूम, झुग्गियां और होटल तोड़े गए। नूंह में प्रशासन ने 37 जगहों पर कार्रवाई कर 57.5 एकड़ जमीन खाली कराई। इनमें से 162 स्थायी और 591 अस्थायी ढांचे ध्वस्त कर दिये गये।
सरकार ने जारी किया था नोटिस
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन की इस कार्रवाई को एक जाति विशेष के लोगों को निशाना बनाने वाली कार्रवाई मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस जी.एस. संधावालिया की बेंच ने 7 अगस्त को इस मामले में कार्रवाई करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें प्रशासन को नूंह में अवैध निर्माण को गिराने पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया था।
शुक्रवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया तो हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण पल्ली और जगमोहन बंसल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया। अरुण पल्ली ने कहा कि यह हाईकोर्ट द्वारा लिया गया संज्ञान है। इस पर मुख्य न्यायाधीश की पीठ ही सुनवाई कर सकती है। जस्टिस पल्ली ने कहा कि हाई कोर्ट के नियमों के तहत केवल मुख्य न्यायाधीश ही जनहित याचिका पर सुनवाई कर सकते हैं।
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इसके बाद मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है। वहीं, इस मामले में सरकार ने कोर्ट से जवाब देने के लिए समय मांगा है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि वह नियमों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सब्रवाल सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए और अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम और नूंह में अवैध निर्माण तोड़ने पर कोई रोक नहीं है। नियमों के तहत सरकार अभी भी अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई जारी रखे हुए है।
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