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सेना में शामिल होगी परमाणु सक्षम शौर्य मिसाइल, 800 किमी. दूर तक भेद सकती है अपना लक्ष्य

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम शौर्य मिसाइल को सेना में शामिल करने और तैनात करने की मंजूरी दे दी है। शौर्य पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बीए-05 मिसाइल का भूमि संस्करण है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित गया है। इस मिसाइल का आखिरी उपयोगकर्ता परीक्षण 3 अक्टूबर को ओडिशा के बालासोर में किया गया था। यह मिसाइल 800 किलोमीटर की दूरी तक अपने लक्ष्य को भेद सकती है। सैन्य जरूरतों को देखते हुए इसे सेना में शामिल किये जाने से देश की रक्षा प्रणाली को और मजबूती मिलेगी।

डीआरडीओ के अनुसार शौर्य मिसाइल पुराने वर्जन की अपेक्षा हल्की और संचालित करने में ज्यादा आसान है। अपने लक्ष्य को भेदने के लिए अंतिम चरण में मिसाइल की रफ्तार ध्वनि से भी ज्यादा यानी हाइपरसोनिक हो जाती है। शौर्य कनस्तर से प्रक्षेपित सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइल है जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया गया है। यह मिसाइल एक टन तक के पेलोड के साथ वॉरहेड ले जा सकती है। उड़ान भरने पर लगभग 50 किमी. की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद यह मिसाइल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तरह उड़ने लगती है। लक्ष्य क्षेत्र में 20 से 30 मीटर की दूरी पर पहुंचने के बाद सतर्क होकर सटीक हमला करती है। मिसाइल को जल्द ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के मार्गदर्शन में चिन्हित स्थानों पर तैनात किया जाएगा। मिसाइल का वजन लगभग 160 किलोग्राम है।

शौर्य प्रक्षेपास्त्र भारत को अद्वितीय प्रहार करने की महत्वपूर्ण क्षमता देता है। शौर्य प्रक्षेपास्त्र को जल के नीचे मार करने वाली सागारिका प्रक्षेपास्त्र का भूमि संस्करण माना जाता रहा है, लेकिन डीआरडीओ के अधिकारियों ने सागारिका कार्यक्रम के साथ इसके संबंध से इनकार किया है। शौर्य मिसाइल को क्रूज मिसाइल हाइब्रिड प्रणाली के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अमेरिकी टॉमहॉक और इंडो-रूसी ब्रह्मोस जैसी पारंपरिक क्रूज मिसाइलें सटीकता के साथ वार तो करती हैं, लेकिन इनके इंजन इन्हें धीरे-धीरे साथ ले जाते हैं, जिससे दुश्मन के विमानों और मिसाइलों की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। इसके विपरीत शौर्य मिसाइल का वायु स्वतंत्र इंजन इसे हाइपरसोनिक गति के साथ आगे बढ़ाता है, जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को बहुत पीछे छोड़कर यह सटीक हमला करने में सक्षम है।

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रक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि दो चरणों वाली अत्यधिक चुस्त शौर्य मिसाइल अत्यधिक घातक है, जो कम ऊंचाई पर भी 7.5 मैक के वेग तक पहुंच सकती है। शौर्य एक बुद्धिमान मिसाइल है, क्योंकि ऑनबोर्ड नेविगेशन कंप्यूटर से निर्देशित करते ही यह सीधे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है। इसे प्रक्षेपित करने से पहले तक दुश्मन या निगरानी उपग्रहों से भूमिगत भंडारों में छिपाकर रखा जा सकता है। सतह पर इसका उड़ान समय 500 से 700 सेकंड के बीच है। इसे आसानी से सड़क मार्ग से ले जाया जा सकता है। इसका उपग्रहों के जरिये भी आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है, जो इसकी तैनाती को आसान बनाता है।

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