शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने डॉक्टरों का नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) बंद कर दिया है। प्रमुख सचिव वित्त मनीष गर्ग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। ऐसे में अब स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, दंत चिकित्सा, आयुष और पशुपालन विभाग में भर्ती होने वाले नए डॉक्टरों को NPA नहीं मिलेगा।
राज्य सरकार के इस कदम से भविष्य में भर्ती होने वाले डॉक्टरों को आर्थिक नुकसान होगा। हालांकि सेवारत डॉक्टरों को यह पहले की तरह मिलता रहेगा। माना जा रहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए सुक्खू सरकार ने एनपीए को बंद करने का फैसला किया है।
विरोध पर उतरी बीजेपी –
उल्लेखनीय है कि डॉक्टरों को मूल वेतन का 20 फीसदी एनपीए दिया जाता है। इसका उद्देश्य डॉक्टरों को चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करना है। यह भारत सरकार की सिफारिश पर सभी राज्यों में दिया जाता है। इस बीच सुक्खू सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। जहां डॉक्टर इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ उतर आई है। इस संबंध में भाजपा विधायक व मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि डॉक्टरों के गैर-प्रैक्टिस भत्ता बंद करने का फैसला गलत है। डॉक्टरों के साथ-साथ जनता के हित में यह फैसला वापस लिया जाना चाहिए।
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प्रशिक्षु डॉक्टरों ने दी आंदोलन की चेतावनी –
सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रशिक्षु डॉक्टरों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। आईजीएमसी एससीए के अध्यक्ष शिखिन सोनी ने कहा है कि राज्य सरकार जल्द अपना फैसला वापस ले, नहीं तो प्रशिक्षु चिकित्सक बड़ा आंदोलन करने को विवश होंगे।
उन्होंने कहा है कि सरकार का यह फैसला डॉक्टरों के हक में नहीं है और उनका मनोबल तोड़ने वाला है। यह हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। उन्होंने कहा कि एनपीए को बंद करने के सरकार के कदम की निंदा करने के लिए शुक्रवार को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय छात्र संघ की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने कहा कि टी के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी।
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