लखनऊः बहुमंजिली इमारतों में बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। इस संबंध में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, संबंधित अथाॅरिटी द्वारा भवन को अवैध घोषित करने या तोड़ने की दशा में कनेक्शन को काट दिए जाने की शर्त भी रखी गई है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने राजधानी में बहुमंजिली इमारतों में बिजली कनेक्शन देने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की अनापत्ति (एनओसी) की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। एलडीए अथवा संबंधित अथॉरिटी से नक्शा पास नहीं होने पर आवेदक से एक हलफनामा लेकर ही बिजली कनेक्शन दे दिया जाएगा।
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मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत के जारी आदेश में यह व्यवस्था है कि मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, मल्टीप्लेक्स, मैरेज हाल, कॉलोनी में विद्युत कनेक्शन के लिए विकास प्राधिकरण, महापालिका, नगर पालिका, ग्राम पंचायत से स्वीकृत या फिर पंजीकृत आर्किटेक्ट से हस्ताक्षरित नक्शा आवेदक के हस्ताक्षर के साथ लिए जाने हैं। विद्युत प्रदाय संहिता 2005 में भी यह लिखा गया है कि यदि नक्शा संबंधित अथॉरिटी गवर्नमेंट बॉडी से स्वीकृत नहीं है या पंजीकृत आर्किटेक्ट से हस्ताक्षरित नहीं है, तो उस दशा में शर्तों के साथ बिजली का कनेक्शन दे दिया जाएगा। इसके साथ में आवेदक से यह हलफनामा लिया जाएगा कि यदि उसके मकान को गिराया या तोड़ा जाता है अथवा संबंधित अथॉरिटी द्वारा आपत्ति की जाती है, तो कनेक्शन अस्थाई तौर पर काट दिया जाएगा।
एनओसी बगैर नहीं मिल रहा था कनेक्शन –
बताते चलें कि राजधानी में बहुमंजिली इमारतों में बिजली कनेक्शन के लिए एलडीए से एनओसी लाने के आदेशों का पालन विद्युत विभाग कर रहा था। हालांकि, एनओसी की बाध्यता की आड़ में दलाल बिजली कनेक्शन दिलाने के नाम पर फ्लैट मालिकों से उगाही भी कर रहे थे। दलालों के इस खेल में कुछ अभियंता भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे थे। हालांकि, विभागीय अभियंता एनओसी नहीं होने से ऐसी इमारतों में नया कनेक्शन नहीं दे पा रहे थे। अब बाध्यता समाप्त किए जाने के बाद बहुमंजिली इमारतों में कनेक्शन लेना आसान हो जाएगा।
अवैध काॅलोनियों में दिक्कतें अधिक –
राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से काॅलोनियां विकसित हो रही हैं। आउटर रिंग रोड, किसान पथ, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद शहरी क्षेत्र का दायरा अधिक बढ़ गया है। शहर के आउटर इलाकों में निजी डेवलपर्स द्वारा तमाम काॅलोनियों विकसित की जा रही हैं। कई बिल्डर्स के रेरा (रीयल स्टेट रेगुलेटरी अथाॅरिटी) में पंजीकरण न होने से ऐसी काॅलोनियों में प्लाट लेने वालों को अस्थाई बिजली कनेक्शन मिलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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