नई दिल्ली: अब भारतीय नौसेना हिन्द महासागर में चीन की हर हरकत का माकूल जवाब दे सकेगी क्योंकि रविवार को इजरायल के सहयोग से विकसित किए गए बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम सौंप दिए गए।डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने एलआरएसएएम मिसाइलों के अंतिम उत्पादन बैच को आज एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, हैदराबाद में झंडी दिखाकर रवाना किया।
डीआरडीओ अध्यक्ष रेड्डी ने स्वदेशी उत्पादन प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मिसाइल सिस्टम क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी के प्रयासों की सराहना की, जिससे भारत भर के विभिन्न उद्योगों में उत्पादन गतिविधियों को व्यवस्थित करके एयरोस्पेस के गुणवत्ता मानकों वाली मिसाइलों की समय से आपूर्ति हो सकी। भारतीय नौसेना के वीएसएम रियर एडमिरल वी राजशेखर ने भारतीय नौसेना की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने डीआरडीओ से भविष्य के युद्ध के लिहाज से उन्नत हथियार प्रणालियों को डिजाइन और विकसित करने का आग्रह किया।
भारत ने 2018 में इजरायल की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) से बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए 777 मिलियन डॉलर (करीब 5687 करोड़ रुपये) का सौदा किया था। यह मिसाइल एलआरएसएएम श्रेणी के तहत काम करती है। इस अनुबंध के तहत इजरायल की कंपनी को भारतीय नौसेना के 7 जहाजों को एलआरएसएएम एयर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स की आपूर्ति करना था। बराक-8 को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इजरायल ने हथियारों और तकनीकी अवसंरचना, एल्टा सिस्टम्स दिया है जबकि भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने मिसाइलों का उत्पादन किया है।
बराक-8 एक भारतीय-इजरायली लंबी दूरी वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। बराक 8 को विमान, हेलीकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों के किसी भी प्रकार के हवाई खतरा से बचाव के लिए डिजाइन किया गया। इस सिस्टम का इस्तेमाल इजरायली नौसेना के अलावा भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना करती हैं। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी की मिसाइल बराक-8 की मारक क्षमता 70 से 90 किमी. है। साढ़े चार मीटर लंबी मिसाइल का वजन करीब तीन टन है और यह 70 किलोग्राम भार ले जाने में सक्षम है। बराक-8 मिसाइल बहुउद्देशीय निगरानी और खतरे का पता लगाने वाली राडार प्रणाली से सुसज्जित है।
दरअसल यह मिसाइल कई श्रेणियों में आती हैं जैसे कुछ जमीन या सतह से हवा में मार करने वाली तो कोई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल होती हैं। इसके अलावा इनमें लंबी दूरी, मध्यम दूरी और छोटी दूरी की मिसाइल होती हैं। नौसेना को आपूर्ति की गई मिसाइल लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली श्रेणी की है। शिप पर इसका इस्तेमाल एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के रूप में किया जाता है। इसका इस्तेमाल भारत और इजराइल की सेनाएं करती हैं। भारतीय सेना भी बराक श्रेणी की कई मिसाइलों का पहले से ही इस्तेमाल कर रही है। 2017 में भारत और इजरायल ने इस मिसाइल के जमीनी संस्करण के लिए करीब 2 अरब डॉलर का सौदा किया था जिसे एमआरएसएएम के नाम से जाना जाता है।