निगम के प्रस्तावों पर अब और तल्खी

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लखनऊः नगर निगम का वर्ष 2023-24 का पुनरीक्षित बजट आम जनता के सामने रखा जा चुका है, लेकिन इस बजट को लेकर सपा के सदस्यों ने अपनी गहरी नाराजगी जताई है। सपा और भाजपा के बीच कई मुद्दों पर बहस भी हो चुकी है।

20 अक्टूबर को महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता में सभी कार्यकारिणी सदस्यों, अपर नगर आयुक्तों एवं नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की गई थी। इसमें निगम के आय और व्यय पक्ष को शामिल किया गया था। सपा के सदस्यों का आरोप है कि सत्ता पक्ष की महापौर होने के कारण निगम में भेदभाव किया जा रहा है। निगम के विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाली संकलित की जाने वाली आय, जिसमें प्रमुख रूप से कर-करेत्तर को कार्यकारिणी में सम्मिलित किया गया था। सपा के सदस्यों ने सवाल उठाए कि उनकी किन मांगों को पूरा किया गया है, इसका भी उल्लेख किया जाना चाहिए।

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आरोप है कि कार्यकारिणी में केवल सत्तापक्ष के पार्षदों की ही सुनी जाती है। बजट में पूंजी लेखा के अन्तर्गत केन्द्र सरकार राज्य सरकार एवं अन्य शासकीय कार्यालयों से प्राप्त होने वाले संकलित अनुदान जैसे- सांसद निधि, विधायक निधि, मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना, केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाएं जिसमें स्वच्छ भारत मिशन व अमृत योजना, अन्त्येष्टि स्थलों का विकास तथा सौन्दर्यीकरण, 15वां वित्त आयोग, डिपॉजिट मद, समग्र विकास निधि, नगरीय सड़क सुधार योजना एवं अन्य योजनाएं आदि के लिए नगर निगम को प्राप्त होने वाली आय प्रस्तावित थी। सपा के पार्षदों का आरोप है कि लेखा विभाग की गड़बड़ी नहीं, साजिश के तहत ही पूर्व में लिखा-पढ़ी में गड़बड़ी की गई। आरोप है कि जो बजट पास किया गया है, उसमें कुछ काम तो सदन में शामिल भी नहीं था।