लखनऊः राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है। एक तरफ जहां कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों को अस्पतालों में बेड नही मिल रहे हैं, वहीं ओपीडी बंद होने से अन्य बीमारी से पीड़ित मरीजों को इलाज नही मिल पा रहा है। जिसका नतीजा है कि लोग मरीजों को एंबुलेंस में लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं।
शहर के गोमती नगर के विनीत खंड निवासी अंकित सिंह के 70 वर्षीय पिता फूल सिंह की शुक्रवार सुबह से ही तबीयत खराब है। एंबुलेंस की व्यवस्था कर अंकित अपने पिता को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए सबसे पहले ऋषि हाॅस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां पर बेड न होने की बात कही गयी। इसके बाद वह पिता को लेकर लोहिया हाॅस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां पर किसी चिकित्सक ने उनके पिता को देखा भी नही। इंडिया पब्लिक खबर की टीम ने उनसे फोन पर संपर्क साधा तो अंकित ने बताया कि मेरा पिता की तबीयत काफी ज्यादा खराब है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है और उनकी पल्स रेट भी काफी धीमी चल रही है। बेड न होने व चिकित्सक न मिलने की वजह से उनकी हालत बिगड़ती जा रही है, ऐसे में हम जाएं तो कहां जाएं। अंकित ने सरकार के आलाधिकारियों से मदद की गुहार लगायी है और मोबाइल नं. 8795985852 पर संपर्क करने की बात कही है। वहीं प्रशासन द्वारा बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की बात तो कही जा रही है, लेकिन यह व्यवस्था कहां है, यह दिखाई नही पड़ रहा है।
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टीन शेड से छुपा रहे लाशें
शहर में जिस तरह से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से मौतों का ग्राफ भी ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों शहर के बैकुंठ धाम में एक साथ कई शवों के जलने के वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने वहां पर टीन शेड लगा दिए हैं, जिससे कोई भी वहां की वीडियो न बना पाए। विद्युत शवदाह गृह और पुराने श्मशान घाट के बीच बने द्वार को भी बंद कर दिया गया है, ऐसा होने से अब लोग चिता पर रखे शवों को बाहर से नही देख पाएंगे। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने भी सरकार को जमकर घेरा है।