नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि वायु प्रदूषण (air pollution) से होने वाली मौतों पर फिलहाल कोई निश्चित डेटा उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
वायु गुणवत्त में सुधार के लिए उठाए जाएंगे कदम
मंत्री ने कहा कि अकेले वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का सीधा संबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक डेटा उपलब्ध नहीं है। वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और संबंधित बीमारियों को प्रभावित करने वाले कई कारकों में से एक है। स्वास्थ्य कई कारकों से प्रभावित होता है, जिसमें पर्यावरण के अलावा व्यक्तियों की खान-पान की आदतें, व्यावसायिक आदतें, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, चिकित्सा इतिहास, प्रतिरक्षा, आनुवंशिकी आदि शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य सभी हितधारकों को शामिल करके 24 राज्यों के 131 शहरों (गैर-प्राप्ति शहरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों) में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम ने 2017 बेसलाइन की तुलना में 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) सांद्रता को 20-30 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा है। 2025-26 तक पीएम 10 के स्तर को 40 प्रतिशत कम करने या राष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने के लिए लक्ष्य को संशोधित किया गया है। कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि इन 131 शहरों को सिटी एक्शन प्लान गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए प्रदर्शन आधारित वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन एसबीएम (शहरी), अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन, किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी), हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और विनिर्माण (फेम-II), नगर वन योजना आदि के माध्यम से धन जुटाया जाता है और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों और नगर निगम, शहरी विकास प्राधिकरण और औद्योगिक विकास प्राधिकरण आदि जैसी एजेंसियों से संसाधन जुटाए जाते हैं।
वायु गुणवत्ता में आया सुधार
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की सार्वजनिक शिकायतों के समय पर निवारण के लिए सभी 131 शहरों द्वारा लोक शिकायत निवारण पोर्टल (पीजीआरपी)/हेल्पलाइन विकसित की गई है। कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि वायु आपात स्थितियों में कार्रवाई करने के लिए सभी 131 शहरों द्वारा आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली (ईआरएस/जीआरएपी) विकसित की गई है। वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए 131 शहरों के लिए 19,614.44 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है, जिसमें से 49 मिलियन से अधिक शहरों/शहरी समूहों को पंद्रहवें वित्त आयोग वायु गुणवत्ता अनुदान के तहत वित्त पोषित किया जाता है। शेष 82 शहरों को प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। अब तक 131 शहरों को अपने-अपने शहरों में सिटी एक्शन प्लान लागू करने के लिए 11,211.13 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
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उन्होंने कहा कि 131 शहरों में से 95 शहरों ने वित्त वर्ष 2017-18 की आधार रेखा के संबंध में वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक पीएम10 सांद्रता के मामले में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखाया है। 18 शहरों ने वित्त वर्ष 2023-24 में पीएम10 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा किया है।
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