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विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों से पूरी तरह प्रभावित है नीति आयोग : कैट

नई दिल्ली: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों में हस्तक्षेप करने पर नीति आयोग की कड़े शब्दों में निंदा की है। कैट ने शनिवार को एक बयान में कहा कि ई-कॉमर्स व्यापार में उपभोक्ता मंत्रालय के प्रस्तावित प्रारूप पर जिन शब्दों का इस्तेमाल नीति आयोग ने किया है उससे स्पष्ट है कि वो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के दबाव और प्रभाव का नतीजा है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नीति आयोग देश के ई-कॉमर्स क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधार को पटरी से उतारने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के आह्वान को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि यह अत्यंत खेद की बात है कि अपने अस्तित्व के 6 वर्षों के बाद भी नीति आयोग अपनी औपनिवेशिक मानसिकता से उबर नहीं पाया है।

खंडेलवाल ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नीति आयोग ने अपनी स्थापना के बाद से भारत के 8 करोड़ व्यापारियों के लिए कुछ भी नहीं किया है, लेकिन जब सरकार देश के व्यापारियों को ई- कॉमर्स में एक मजबूत ज़मीन देने का प्रयास कर रही है ताकि ई-कॉमर्स क्षेत्र में समान अवसर प्रदान किया जा सके, तो नीति आयोग बिना किसी औचित्य के बीच में आकर अपने मनमाने रुख से इस प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहा है।

कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि नीति आयोग का इस तरह का सख्त और उदासीन रवैया बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि दिग्गज विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने जब एफडीआई नीति के नियमों को दरकिनार कर देश के खुदरा और ई-कॉमर्स परिदृश्य का उल्लंघन और नष्ट कर दिया तब अचानक नीति आयोग नींद से जाग गया है।

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खंडेलवाल और भरतिया ने दोहराया कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को उपभोक्ता संरक्षण ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए। क्योंकि इसमें उपभोक्ताओं के साथ-साथ देश के व्यापारियों का भी हित जुड़ा है। यह न केवल सर्वोत्तम गुणवत्ता और कीमत सुनिश्चित करेगा, बल्कि उपभोक्ताओं के साथ-साथ 8 करोड़ व्यापारियों के लिए सतत विकास का एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाएगा, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। कारोबारी नेताओं ने कहा कि प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियम ई-कॉमर्स क्षेत्र में समान स्तर का व्यापार करने का अवसर देगा, जो प्रधानमंत्री मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को भी पूरा करेगा।

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