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NIA ने टेरर फंडिंग के मामले में जम्मू-कश्मीर और बेंगलुरु में की छापेमारी, जानें मामला

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को जम्मू एवं कश्मीर में "अलगाववादी और अलगाववादी गतिविधियों" के लिए धर्मार्थ बनाई गई एनजीओ और ट्रस्टों को धन मुहैया कराने के मामले में घाटी और बेंगलुरु में 11 स्थानों पर छापे मारे। तलाशी में कई गोपनीय दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए हैं।

एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार बुधवार को श्रीनगर स्थित सिविल सोसाइटी के जम्मू-कश्मीर गठबंधन के समन्वयक खुर्रम परवेज, उनके सहयोगी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्रि और बांदीपोरा स्थित एसोसिएशन पेरेंट्स ऑफ डिसएपर्ड पर्सन (एपीडीपी) की चेयरपर्सन परवीना अहंगर के कुल 11 ठिकानों पर छापे मारे गए। एनजीओ एथ्राउट और जीके ट्रस्ट के कार्यालयों की भी तलाशी ली गई है। आरोप है कि ये लोग कुछ तथाकथित गैर-सरकारी संगठनों और ट्रस्टों के माध्यम से देश-विदेश में चैरिटी के नाम पर धन जुटाने में लिप्त रहे हैं। इसके बाद उन फंडों को जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने में उपयोग करते थे।

एनआईए ने इसी महीने की शुरुआत में 8 अक्टूबर को यह मामला दर्ज किया था। इसके बाद स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मदद से एनआईए की एक टीम ने श्रीनगर के एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र ग्रेटर कश्मीर (जीके) के परिसर में स्थित ट्रस्ट के कार्यालय की तलाशी ली। इसके अलावा वर्ष 2000 में स्थापित तीन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर एनआईए ने जम्मू और कश्मीर में छापे मारे हैं। आरोप है कि ये एनजीओ और ट्रस्ट आतंकी फंडिंग जुटाते रहे हैं। इन गैर-सरकारी संगठनों को अज्ञात दाताओं से धन प्राप्त हो रहा था, जिनका उपयोग आतंकी गतिविधियों में किया जा रहा था।

एनआईए के मुताबिक मानव अधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज के घर और एनजीओ एथ्रोट एवं डल झील में एचबी हिल्टन नामक एक हाउसबोट के कार्यालय पर भी छापा मारा गया है। परवेज के सहयोगियों परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्रि एवं परवीन अहांगर के परिसर, एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स ऑफ डिसएपर्ड पर्सन्स के अध्यक्ष के यहां से कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि खुर्रम परवेज को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत 2016 में 76 दिनों के लिए हिरासत में लिया गया था, जबकि जुलाई 2019 में ग्रेटर कश्मीर (जीके) के संपादक फैयाज अहमद कालू और इसके प्रकाशक राशिद मखदूमि को दिल्ली बुलाकर एनआईए ने पूछताछ की थी। अभी एक सप्ताह पहले भी एनआईए ने पूछताछ के लिए इनको समन भेजा था, जिसमें आधिकारिक कारण नहीं बताया था। लेकिन एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज से 2016 के कश्मीर विरोध प्रदर्शनों की कवरेज के लिए पूछताछ की गई थी और यह प्रदर्शन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकदी बुरहान वानी की हत्या के बाद शुरू हुआ था। जबकि ग्रेटर कश्मीर के संपादक कालू से एक आतंकी फंडिंग जांच के संबंध में पूछताछ में की गई है। एनआईए की जांच-पड़ताल जारी है।

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इस बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार की छापेमारी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने इसे सरकार की "शातिर कार्रवाई" करार दिया है। उन्होंने कहा, "अफसोस की बात है कि एनआईए उन लोगों को डराने के लिए भाजपा की पालतू एजेंसी बन गई है, जिनका इन मामलों से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है।"