एनएचआरसी ने रिपोर्ट लीक करने के ममता के आरोप को किया खारिज

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इन आरोपों का खंडन किया है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव पश्चात हुई हिंसा के बारे में तैयार की गई रिपोर्ट उसके द्वारा मीडिया को लीक की गई। आयोग ने कहा है कि यह आरोप पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद है।

आयोग ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर आयोग की एक समिति ने पश्चिम बंगाल में चुनाव पश्चात हिंसा की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। समिति की रिपोर्ट गत 13 जुलाई को न्यायालय को सौंपी गई। आयोग ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर यह रिपोर्ट अपने अधिवक्ता को सौंपी। अधिवक्ता ने बाद में यह रिपोर्ट मामले के अन्य पक्षकारों के साथ साझा की।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को एक प्रेसवार्ता में आयोग पर रिपोर्ट लीक करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि मीडिया को रिपोर्ट लीक करने की बजाय आयोग को यह रिपोर्ट न्यायालय को सौंपनी चाहिए थी। ममता बनर्जी ने पूरी कवायत को राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित बताया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि राज्य में रूल ऑफ लॉ (कानून का शासन) की बजाय लॉ ऑफ द रूलर (हुकमरान का कानून) कायम है। आयोग ने हिंसा और दुष्कर्म की घटनाओं की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की सिफारिश की है।

लीक रिपोर्ट मामले में आयोग ने आगे कहा कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है तथा आयोग ने उच्च न्यायालय क निर्देश के अलग किसी व्यक्ति या संस्था के साथ रिपोर्ट साझा नहीं की। आयोग ने कहा कि यह रिपोर्ट सभी संबंधित पक्षों को उपलब्ध कराई गई थी। ऐसे में उसकी ओर रिपोर्ट के लीक होने का सवाल ही नहीं उठता।