लखनऊः योगी सरकार प्रदेश में जल परिवहन के जरिए व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं। इस क्रम में रोड ट्रांसपोर्ट की तर्ज पर वाटर ट्रांसपोर्ट की सुविधा शुरू की जा रही है। प्रदेश सरकार का वाटर ट्रांसपोर्ट के जरिए सस्ती दर पर माल ढुलाई के साथ ही लोगों को पर्यटन की भी सुविधा देने का मकसद है।
प्रदेश में ऐसी कई नदियां हैं, जिनमें पर्यटन की पूरी संभावना है। इसके लिए प्रदेश में जल्द ही जल परिवहन प्राधिकरण का गठन होगा। जल परिवहन प्राधिकरण प्रदेश में नए नेशनल वाटरवे विकसित करेगा। देशभर में कुल 111 नेशनल वाटरवे हैं, जिनमें आठ नेशनल वाटरवे उत्तर प्रदेश में है। यूपी जल परिवहन प्राधिकरण का गठन कर वाटरवे की संख्या बढ़ाई जाएगी। राजधानीवासियों के लिए गोमती नदी में जल परिवहन की सुविधा प्रदान की जाएगी। वाटर ट्रांसपोर्ट की सुविधा के लिए नए स्टेशन विकसित किए जाएंगे। इसके तहत लोग नदियों में लंबी दूरी तक वाटर बोट का आनंद ले सकेंगे। परिवहन विभाग के अफसरों की मानें तो जल परिवहन प्राधिकरण के गठन के लिए मुख्य सचिव के समक्ष प्रजेंटेशन दिया जा चुका है। मुख्य सचिव ने कुछ संशोधन के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद दोबारा प्रजेंटेशन दिया जाएगा।
यह भी पढ़ें-कब्जेदारों से मुक्त हुई नगर निगम की ऊसर भूमि
जिसके बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराकर यूपी में जल परिवहन प्राधिकरण का गठन होगा। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले नए साल में जल परिवहन प्राधिकरण अपना काम शुरू कर देगा। उत्तर प्रदेश में गंगा नदी पर 1,620 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय जलमार्ग-1 प्रयागराज हल्दिया का विकास किया जा रहा है। यह केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। परियोजना के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग एक पर वाटरवेज कॉरिडोर से सम्बंधित मिनी टर्मिनल्स के विकास और जलयानों के संचालन के लिए बंदरगाह बनाए जा रहे हैं। इसके तहत वाराणसी में मल्टी मॉडल टर्मिनल, गाजीपुर में गाजीपुर टर्मिनल (इंटर मॉडल टर्मिनल) और चंदौली में फ्रेट विलेज का निर्माण किया जा रहा है। परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने बताया कि इस सम्बंध में कई बार बैठक के बाद प्रस्ताव तैयार कराया गया है। कुछ संशोधनों के बाद ड्रॉफ्ट तैयार कर दोबारा भेजा गया है। प्राथमिकता के आधार पर इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।
परिवहन विभाग को सर्वेक्षण व रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी
अंतर्देशीय जल यान अधिनियम 1917 के अधीन बनाई गई उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जल नियमावली 2022 में अंतर्देशीय जल यान के सर्वेक्षण और रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है, जिसमें जलयान के सर्वेक्षण और रजिस्ट्रेशन का अधिकार परिवहन विभाग को दिया गया है। रजिस्ट्रेशन और सर्वेक्षण के सम्बंध में अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। इसके तहत अंतर्देशीय जलयानों के रजिस्ट्रेशन के लिए सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ प्रशासन) को रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी और संभागीय निरीक्षक (आरआई प्राविधिक) को सर्वेक्षक नियुक्त किया गया है।
प्राधिकरण में 43 पदों के सृजन का प्रस्ताव
सूबे में जलमार्ग परियोजनाओं के संचालन के लिए एक अलग अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन के लिए प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया। इसमें कुल 43 पदों के सृजन का प्रस्ताव है। अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के लिए भेजे गए प्रस्ताव में परिवहन आयुक्त अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण उत्तर प्रदेश के पदेन निदेशक होंगे। प्राधिकरण में कुल 19 अधिकारी और कर्मचारी की नियुक्ति का प्रस्ताव है। इनमें तीन अधिकारी पदेन, छह अधिकारी सिंचाई विभाग से प्रतिनियुक्ति पर और दस कर्मचारी आउटसोर्सिंग के माध्यम से लिया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त जल परिवहन के लिए जरूरत पड़ने पर अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि भी की जा सकती है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)