ई-हाईवे से पैदा होंगे नए रोजगार, व्यापार को भी मिलेगा बढ़ावा

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जयपुर: दिल्ली से जयपुर करीब 278 किलोमीटर लंबे ई-हाईवे के आखिरी चरण का ट्रायल चल रहा है। एक महीने तक चलने वाले इस ट्रायल में सभी तकनीकी और व्यापार से जुड़े पहलुओं पर अध्यन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि मार्च 2023 को शुरू होने के बाद इस ई-हाईवे के जरिये हजारों नए रोजगार पैदा होंगे और इससे जुड़े व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा।

नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल द्वारा किए जा रहे इस अंतिम ट्रायल को 1 महीने में खत्म कर ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इसके पहले दिन की ट्रायल के परिणाम बेहद संतोषजनक रहे हैं। बताया जा रहा है 278 किलोमीटर लंबे दिल्ली जयपुर और 210 किलोमीटर दिल्ली आगरा हाईवे यानी लगभग 500 किलोमीटर के इस हाईवे को इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए ई-हाईवे के तौर तक विकसित किया जा रहा है।

इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने बताया कि 500 किलोमीटर लंबे दिल्ली-आगरा-जयपुर ई-हाईवे पर 20 चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इन स्टेशनों पर एक साथ 20 इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज होने के साथ साथ यहां एटीएम, फूड कोर्ट और स्पा जैसी सुविधाएं भी होंगी। हर चार्जिंग स्टेशन पर करीब 250 लोगों को रोजगार मिलेगा। 20 चार्जिंग स्टेशन होने से 5000 नए रोजगार पैदा हो जाएंगे।

नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल द्वारा 500 किलोमीटर के इस ई-हाईवे पर दोनों तरफ 100 कैब और 24 बसें चलाई जाएंगी। अभिजीत सिन्हा ने बताया कि कोई भी व्यक्ति इनमें टिकट लेकर सफर कर सकता है, जिसका किराया अनुमानित तौर पर पेट्रोल-डीजल की कार और बसों की तुलना में 30 प्रतिशत तक कम होगा। आमतौर पर एक कैब को चार्ज करने में 4-5 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत रास्ते में गाड़ी की चार्जिंग खत्म होने पर घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि चार्जिंग स्टेशन पर ही सिर्फ 10 मिनट के अंदर फुल चार्ज दूसरी गाड़ी यात्रियों को मुहैया करवा दी जाएगी।

बताया जा रहा है कि ये पूरा प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की तर्ज पर होगा। इसमें चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए जमीन सरकार से ली जाएगी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट कंपनियों या व्यक्ति का हो सकता है। चार्जिंग स्टेशन का व्यवसाय फिलहाल 5 प्रतिशत के आसपास है, लेकिन ई-हाइवे प्रोजेक्ट के जरिए इसे कई गुना ज्यादा बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। आमतौर पर देखें तो पेट्रोल पंप के व्यवसाय में लागत करीब दो साल में निकल आती है। वहीं ई-हाईवे चार्जिंग स्टेशन में लागत 36 महीने में वसूल होने का अनुमान है। वहीं इसके लिए पेट्रोल पंप के जैसे कोई लाइसेंस भी नहीं लेना होगा। यही वजह है कि इसमें निवेश करने वाली कंपनियों और व्यापारियों को आगे आने वाले सालों में ज्यादा मुनाफा होगा।

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