Nepal: कड़ाके की ठंड में बिना छत के रात गुजारने को मजबूर भूकंप पीड़ित, 31 की मौत

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Nepal Earthquake victims forced to spend

Nepal काठमांडूः नेपाल के जाजरकोट और रुकुम पश्चिम के भूकंप पीड़ितों की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है, रात का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस तक कम हो रहा है। इससे टेंटों में रहने को मजबूर भूकंप पीड़ितों को न सिर्फ कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि ठंड से मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है।

दिनों दिन मुश्किल हो रहा गुजारा

गुरुवार की देर रात से शुक्रवार की सुबह तक जाजरकोट का तापमान एक डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर रहा है। इस दौरान टेंट में रात गुजारने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कड़ाके की ठंड और शून्य तक पहुंच रहे पारे में सरकार द्वारा मुहैया कराए गए कंबल और टेंट के सहारे रात गुजारना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है।

जाजरकोट में ठंड के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है। जाजरकोट के मुख्य जिला मजिस्ट्रेट, सुरेश सुनार ने शुक्रवार को कहा कि मृतकों में ज्यादातर बुजुर्ग, नाबालिग बच्चे और गर्भवती महिलाएं थीं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि रात में ठंड से मरने वालों की संख्या और बढ़ेगी। मुख्य जिलाधिकारी ने माना कि ठंड से बचाव के लिए सरकार की ओर से सभी जरूरी उपाय किये जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन उस स्तर की मदद नहीं कर पा रहा है, जिस स्तर की मदद मिलनी चाहिए।

शून्य से भी कम हो सकता है तापमान

इस बीच मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले दिनों में जजरकोट और रुकुम वेस्ट का तापमान शून्य से नीचे चला जाएगा। जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग में कार्यरत वरिष्ठ मौसम विज्ञानी नीरजन सपकोटा ने बताया कि आम तौर पर 20-25 जनवरी तक जजरकोट और रुकुम पश्चिम के भूकंप प्रभावित इलाकों में रात का तापमान 2-3 डिग्री रहने वाला है, लेकिन बीच-बीच में तापमान शून्य या यह इससे भी कम हो सकता है।

भूकंप पीड़ितों की शिकायत है कि सरकार की ओर से उन्हें किसी तरह का तिरपाल नहीं दिया गया है और न ही ओढ़ने के लिए पर्याप्त सामान है। ऐसे में ठंड में रात गुजारना हर रात मौत का सामना करने जैसा है। भूकंप के बाद से राहत और बचाव कार्य में जुटे माओवादी पार्टी के सांसद जनार्दन शर्मा ने कहा कि भूकंप पीड़ितों की संख्या एक लाख से ज्यादा होने के कारण अभी तक सभी तक पर्याप्त सामान नहीं पहुंच पाया है।

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भूकंप पीड़ितों के बीच लगातार स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहीं राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की सांसद डॉ. तोशिमा कार्की ने कहा कि ठंड के कारण 40 हजार लोगों की जान खतरे में है। पेशे से डॉक्टर कार्की का कहना है कि भूकंप पीड़ितों में बुजुर्ग, नाबालिग बच्चे और गर्भवती महिलाओं की संख्या करीब 40 हजार है। इन लोगों की जान को ठंड से सबसे ज्यादा खतरा है।

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