विशेष Featured

10 साल में भी सैन्य सामग्री नही खरीद सकी नौसेना

नई दिल्लीः नेवी ने सामान्य फ्लीट को ही ट्रेनिंग शिप में बदल दिया। पहली बार ऐसा हुआ है, जबकि सेना की एक विंग में बड़ी लापरवाही सामने आई है। ऐसे कई मामले संसद में रिपोर्ट के रूप में रखे गए हैं। कई अहम क्षेत्रों, मंत्रालयों के काम-काज को लेकर रिपोर्ट संसद में साझा की गई है। राफेल के ऑफसेट और सरकारी स्कूलों में शौचालय, सेना के हेलिकॉप्टर में अपग्रेडशन में गड़बड़ी का अंदेशा बताया गया है। लापरवाही इतनी कि 10 साल में भी कांट्रैक्ट पूरा नहीं हो सका है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के द्वारा पिछले दिनों संसद में रिपोर्ट साझा की गई। यह विवादित मामला काफी समय से चला आ रहा था। इसमें 16 हजार करोड़ रुपये का लफड़ा है। लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स को लेकर ये समझौता 2010 में किया गया था। नेवी ने चार जंगी जहाज खरीदने के लिए समझौता किया था। इनका इस्तेमाल समुद्र में वॉर जोन में हेलिकॉप्टर, टैंक और अन्य सैन्य सामान रखने के लिए किया जाता है। अब नेवी तमाम सवालों से घिरी है।

यह भी पढ़ेंः-त्योहारी सीजन के लिए अमेजन इंडिया ने कसी कमर, किए ये बदलाव

16,000 करोड़ रुपये में खरीदने थे जंगी जहाज

नेवी पर आरोप लग रहे हैं कि डील को समय पूरा क्यों नहीं किया ? वर्तमान क्षमता जल-थल अभियानों के लिहाज से अपर्याप्त पाई गई है। भारतीय नौसेना ने इसलिए अक्टूबर, 2010 में 16,000 करोड़ रूपये की कीमत से अहम जंगी जहाज को खरीदने का निर्णय लिया था। 10 साल के बाद भी ये कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नेवी की ओर से सही टाइम फ्रेम नहीं किया गया। साथ ही ये भी कहा गया है कि नेवी की लड़ाकू ताकत के मुकाबले जहाजों की ताकत नहीं बढ़ पाई है। इसको लेकर भी नेवी के प्रोसेस, टाइमलाइन और लापरवाही पर सवाल खड़े किए गए हैं।