लखनऊः Lok Sabha Elections 2024 के परिणाम सामने आ चुके हैं। भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सभी सहयोगी दलों की मदद से 293 सीटें हासिल कर 272 सीटों पर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। केंद्र में एनडीए की सरकार बनाने की कोशिशें भी तेज हो गयी हैं, लेकिन भाजपा ने जिस मजबूती के साथ 2014 और 2019 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और शासन किया, वैसी स्थिति अब नहीं रहेगी। यह भी ध्यान रखना होगा कि नरेंद्र मोदी जब से राजनीति की मुख्य धारा में आए हैं, उन्होंने पूर्ण बहुमत वाली भाजपा का ही नेतृत्व किया है, यह पहली बार होगा कि वो किसी अल्पमत वाली सरकार का नेतृत्व करेंगे।
NDA की सरकार को बनाए रखना चुनौती
भारतीय जनता पार्टी एनडीए के सहयोगी दलों जनता दल यूनाइटेड, तेलगू देशम पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) व अन्य के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है। इस बार के लोकसभा चुनाव में एनडीए को कुल 293 सीटों पर जीत मिली है, जिसमें भाजपा को 240, टीडीपी को 16, जेडीयू को 12, शिवसेना (शिंदे गुट) 07, एलजेपी (आरवी) को 05, आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) को 01 सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ दिल्ली में बैठक कर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। इसके बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनेगी। यदि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उनके लिए अगले पांच साल तक एनडीए की सरकार को बनाए रखना और अपने तीसरे टर्म में आने के बाद पूर्व में बनायी गयी योजनाओं को लागू करवा पाना आसान नहीं होगा।
टीडीपी और जदयू दोनों पार्टियों ने किसानों, जातीय जनगणना और अन्य कई मुद्दों पर गठबंधन में शामिल होने से पूर्व भारत से मतभेद ही जाहिर किया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तीसरे टर्म में कोई भी बड़ा निर्णय लेना आसान नहीं होगा। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और इंडी गठबंधन में शामिल सभी दलों का प्रदर्शन भी पहले से काफी बेहतर रहा है। कांग्रेस को इस बार 99 लोकसभा सीटों पर जीत मिली है। समाजवादी पार्टी को 37, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को 22 और तेलगु देशम पार्टी (टीएमसी) को 29 सीटें मिली हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल को 04 और आम आदमी पार्टी को 03 सीटें मिली हैं। इंडी गठबंधन ने अपने सभी सहयोगी दलों के साथ मंथन शुरू कर दिया है। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने इंडी गठबंधन के समक्ष उप प्रधामंत्री बनाने और अपनी पार्टी के नेताओं को मनमाफिक मंत्रालय देने और अन्य शर्तों के मानने के बाद ही समर्थन पर अंतिम फैसला सुनाने की बात कही है। इसके अलावा इंडी गठबंधन के पास अब तक किसको प्रधानमंत्री बनाया जाएगा, इसको लेकर भी कोई आम सहमति नहीं बन पायी है।
कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो यूपी, केरल और राजस्थान समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों में भी कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की है। मणिपुर, मेघालय और नगालैंड में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की झोली खाली रही है। चुनाव के परिणाम इसलिए भी चौंकाने वाले हैं, क्योंकि यहां राज्यों में भाजपा या उसके गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों की सरकार है। कांग्रेस पार्टी भाजपा के गढ़ असम में तीन सीट अपने नाम करने में कामयाब रही। कांग्रेस ने मणिपुर में सभी दो सीटें जीतीं हैं। नगालैंड और मेघालय में भी कांग्रेस ने एक-एक सीट अपने नाम की। हालांकि असम में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा उभरी है। उसने नौ सीट अपने नाम की है। इसके अलावा त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में भी एनडीए ने दो-दो सीटें अपने पास रखी हैं, लेकिन चौंकाने वाले परिणाम मणिपुर, नगालैंड और मेघालय से आए हैं। यहां राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार है लेकिन, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली है।
राज्यों में भी बदले समीकरण का दिखा असर
भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) मेघालय में दोनों सीटें कांग्रेस और वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी से हार गई। जबकि, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) नागालैंड की एकमात्र सीट कांग्रेस से हार गई। हालांकि, असम में भाजपा की नौ सीटों के अलावा उसके सहयोगी दलों यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) और असम गण परिषद (एजीपी) ने एक-एक सीट जीती। सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने एक सीट हासिल की। मेघालय में कांग्रेस प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री विंसेंट एच. पाला को इस साल वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी के रिकी एंड्रयू जे. सिंगकोन ने करारी शिकस्त दी। विंसेंट 2009 से शिलांग लोकसभा सीट जीत रहे थे। हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार सालेंग ए. संगमा ने मणिपुर में सत्तारूढ़ दल एनपीपी के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अगाथा के. संगमा को हराकर तुरा सीट अपने नाम की।
यह भी पढ़ेंः-UP Assembly By-Election 2024: कांटे की टक्कर में BJP-SP दो-दो सीटों पर जीती
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मणिपुर में एक साल से अधिक समय तक चली जातीय हिंसा, नागालैंड और मेघालय में अनसुलझे जातीय मुद्दों के कारण भाजपा को चुनावी झटके लगे हैं। 2019 में आठ पूर्वोत्तर राज्यों की 25 लोकसभा सीटों में से 14 पर भाजपा ने कब्जा किया था। जबकि कांग्रेस ने चार (असम में तीन और मेघालय में एक) सीट हासिल की थी। बाकी सात सीटें राज्य की लोकल पार्टियों के नाम रही। 2019 में असम में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), नागालैंड में एनडीपीपी, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मेघालय में एनपीपी, मणिपुर में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने एक-एक सीट जीती थी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)