नाम ट्रामा सेंटर, देखे जा रहे सर्दी-जुकाम के मरीज

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Lucknow Trauma Center:  जब राजधानी लखनऊ के अस्पताल मरीजों के बोझ तले दबे हुए हैं, जानकीपुरम विस्तार में ट्रॉमा सेंटर बिल्कुल शांत नजर आता है। ट्रॉमा रोगियों को गंभीर देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से जानकीपुरम विस्तार में ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन जुलाई 2023 में किया गया था लेकिन यह वर्तमान में अपनी क्षमता से बहुत कम काम कर रहा है। अपर्याप्त स्टाफ और आवश्यक उपकरणों की कमी और शासन-प्रशासन की अनदेखी के कारण अस्पताल अपनी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है।

इंडिया पब्लिक खबर ने इसकी पड़ताल की तो दोपहर 12 बजे ट्रामा सेंटर में मामूली समस्याओं वाले केवल तीन-चार मरीज मौजूद मिले, जिन्हें डॉक्टर देख चुके हैं। एक-दो मरीजों को डॉक्टर तेजी से देख रहे हैं। 12ः30 बजे तक आखिरी मरीज भी अस्पताल से दिखा कर जा चुका होता है। कुछ ही मिनटों में पूरे अस्पताल में दो-तीन मर्ती मरीजों के अलावा केवल अस्पताल का स्टाफ ही बचता है। जिस अस्पताल को ट्रामा जैसे गंभीर मामलों को संभालने के लिए तैयार होना चाहिए था, वह अस्पताल मुख्य रूप से सर्दी, खांसी और बुखार जैसी सामान्य बीमारियों वाले रोगियों का इलाज कर रहा है।

लखनऊ-सीतापुर राजमार्ग के करीब होने की वजह से इसकी महत्वता और भी ज्यादा थी। 2015 में तय किए गए मानकों के अनुसार, एक ट्रॉमा सेंटर में एनेस्थेटिस्ट, ऑर्थोपेडिक सर्जन, जनरल सर्जन, कैजुअलिटी मेडिकल ऑफिसर, स्टाफ नर्स (ट्रॉमा कोऑर्डिनेटर सहित), ओटी तकनीशियन, रेडियोग्राफर, लैब तकनीशियन, नर्सिंग अटेंडेंट और मल्टी टास्क वर्कर की जरूरत होती है। जानकीपुरम विस्तार ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को चौबीसों घंटे सेवा देने के लिए अधिकांश पद अभी तक नहीं भरे गए हैं। ट्रॉमा सेंटर में एक सर्जन और एक आर्थोपेडिक सर्जन सहित चार डॉक्टर हैं, जबकि दो अन्य एमबीबीएस डॉक्टर हैं। दो वार्ड बॉय नए मरीजों को ओपीडी पर्ची जारी करने में व्यस्त रहते हैं, क्योंकि यहां वार्ड आमतौर पर खाली रहते हैं। एक फार्मासिस्ट ने पिछले सप्ताह ड्यूटी ज्वाइन की है, लेकिन ओटी तकनीशियन अभी तक नहीं आया है। महत्वपूर्ण पदों के खाली होने के कारण, केंद्र को चौबीसों घंटे आपातकालीन देखभाल प्रदान करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

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अगर जानकीपुरम ट्रामा सेंटर अपनी पूरी क्षमता से कार्य करे तो किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) पर बोझ काफी कम हो सकता है। हालांकि, देरी और बजटीय बाधाओं के बीच 100 बेड वाले ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए सरकार की 2018-19 की मंजूरी मिली लेकिन अनेक बाधाओं को पार करते-करते अंततः 2021 में 300 करोड़ रुपए से अधिक के संशोधित बजट के साथ जानकीपुरम ट्रामा सेंटर का निर्माण शुरू हुआ, और भवन जुलाई 2023 में पूरा हुआ। जुलाई 2023 में ही उद्घाटन किया गया, जिसका लोकार्पण शिलापट्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ िंसंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कौशल किशोर, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक, स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, विधायक नीरज बोरा व विधायक योगेश शुक्ला का नाम अंकित है।

जानकीपुरम विस्तार में ट्रॉमा सेंटर की परिकल्पना विशेष रूप से सड़क यातायात दुर्घटनाओं या अन्य घटनाओं से होने वाली जीवन-घातक चोटों वाले ट्रॉमा रोगियों को पूरा करने के लिए की गई थी। वर्तमान में यह सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित लोगों की सेवा करता है और यहां ओपीडी में रोगियों की औसत संख्या प्रतिदिन 100 के करीब है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने कहा कि तीन नए डॉक्टरों की भर्ती की गई है और हम अन्य छोटे केंद्रों से कर्मचारियों की व्यवस्था कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि केंद्र एक सप्ताह के भीतर पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

जल्दबाजी में 24 घंटे सेंटर चलाने के निर्देश

सीएमओ का कहना है कि अब शासन स्तर से डॉक्टरों की तैनाती कर दी गई है। चार डॉक्टरों ने ज्वाइन भी कर लिया है। 24 घंटे ट्रामा सेंटर संचालित करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। डॉक्टरों की रोस्टर के मुताबिक ड्यूटी लगा दी गई है, वहीं डिप्टी सीएमओ का कहना है कि पहले एक आर्थोपेडिक्स सर्जन, दो ईएमओ व एक जनरल सर्जन तैनात थे। दो ईएमओ, एक आर्थो सर्जन व एक रेस्थीसिया विशेषज्ञ तैनात हुए हैं। इस तरह अब डॉक्टरों की संख्या आठ होने से 24 घंटे रोस्टर के मुताबिक ड्यूटी लगाई गई है। चार डाक्टरों की जल्द तैनाती होनी है। फिलहाल बिना उचित व्यवस्था के चौबीस घंटे मरीजों को सुविधाएं दे पाना आसान नहीं होगा। ट्रामा सेंटर के प्रभारी डॉ. भौमिक ने बताया कि हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द लोगों को 24 घंटे चिकित्सा मुहैया कराई जा सके, इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं।

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