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Nagachandreshwar Temple : नाग पंचमी पर सिर्फ 24 घंटे के लिए खुलता है ये मंदिर, जानें क्या है खासियत?

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Nagachandreshwar Temple : नागचंद्रेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित एक रहस्यमयी मंदिर है। यह मंदिर मुख्यतः नाग देवता को समर्पित है और इसे हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया जाता है। उज्‍जैन के विश्‍व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार सिर्फ 24 घंटे के लिए नागपंचमी के दिन खुलते हैं। बता दें, इस बार नागपंचमी का पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा। यानी नागचन्द्रेश्वर मंदिर के कपाट 8 अगस्त को खोले जाएंगे। बता दें, कपाट 9 अगस्त रात 12 बजे तक दर्शन के लिए खोले जाएंगे इसके बाद कपाट फिर से एक साल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

24 घंटे के लिए खुलेंगे कपाट  

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरजकुमार सिंह के अनुसार नागचंद्रेश्वर और महाकाल के दर्शन के लिए अलग-अलग मार्ग तय किए हैं। त्रिवेणी संग्रहालय से 40 मिनट में महाकाल के दर्शन किए जा सकेंगे। गौरतलब है कि, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर है। उसके शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। इस मंदिर में 11वीं शताब्‍दी की एक प्रतिमा स्‍थापित है। इसमें नागचंद्रेश्वर सात फनों से सुशोभित हैं। साथ में शिव-पार्वती के दोनों वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं।

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नेपाल से लाई गई प्रतिमा 

बता दें, यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। मान्‍यता है कि, उज्‍जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाएगी। 8 अगस्‍त को रात 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरिजी महाराज और श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्‍टर एवं अध्‍यक्ष सिंह प्रथम पूजन व अभिषेक करेंगे। 9 अगस्‍त की दोपहर 12 बजे अखाड़े की ओर पूजन किया जाएगा और रात 12 बजे के बाद कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

मंदिर की विशेषताएं 

  • इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि, इसके कपाट साल में सिर्फ एक बार, नागपंचमी के दिन सिर्फ 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं।
  • मंदिर का नाम ही नागचंद्रेश्वर है, जो नाग और चंद्रमा के संयोग को दर्शाता है। हिंदू धर्म में नाग और चंद्रमा दोनों को ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • इस मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि, यहां भगवान शिव ने नागराज तक्षक को शरण दी थी।
  • मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया है, जो इसे एक खास आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है।

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