Nag Panchami Special: ब्रह्मांड का ऐसा स्थान जहां से है पाताल लोक जाने का रास्ता

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Nag Panchami Special: मीरजापुरः देवताओं की तपोस्थली और ऋषि-मुनियों की तपोस्थली विंध्य क्षेत्र में ऐसे कई कुएं, तालाब और कुंड हैं, जिनका महत्व सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आइये आपको ले चलते हैं नाग कुंड की ओर। विंध्याचल मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित कंतित के निकट लाल भैरव मंदिर के ठीक सामने उत्तर दिशा में स्थित दो हजार वर्ष पुराना नाग कुंड ब्रह्मांड में ऐसा स्थान है, जहां से पाताल लोक का रास्ता जाता है। पाताल लोक का अर्थ है नागवंशियों का शहर।

पाताल लोक का रास्ता प्राचीन नगर पम्पापुर है, जो वर्तमान में विंध्याचल में है। धर्मग्रंथों में वर्णित है कि पंपापुर नागवंशी राजाओं की राजधानी थी। मां विंध्यवासिनी नागवंशी राजाओं की कुल देवी के रूप में पूजी जाती थीं। माना जाता है कि नागवंशी इसी मार्ग से पाताल लोक से आते-जाते थे। प्राचीन विंध्य भूमि पर स्थित नागकुंड की बावली कई युगों से पांच कुंडों के साथ विद्यमान है और पाताल लोक तक जाने वाले मार्ग को नाग कुंड के नाम से जाना जाता है। यह तिलिस्मी कुंड के नाम से भी विख्यात है।

बावन पुराण के मुताबिक 2200 साल पुराने इस कुंड में स्नान करने से सर्पदोष से मुक्ति मिलती है। वर्तमान में विंध्याचल के कंतित को प्राचीन काल में कांतिपुर के नाम से जाना जाता था। कांतिपुर गांव के नागकुंड का निर्माण करीब ढाई हजार साल पहले नागवंशी राजा दानवराज ने कराया था। उस समय विंध्याचल के आसपास नागवंश का साम्राज्य था। कंतित उनकी राजधानी हुआ करती थी।

मांगने पर नागकुंड से तैरते हुए मिलते थे बर्तन

वामन पुराण के अनुसार राजा की 52 रानियाँ थीं। राजा ने अपने स्नान के लिए इस तालाब का निर्माण करवाया था। चारों तरफ से उतरने के लिए 52 सीढ़ियों वाले इस कुंड के बारे में जनसामान्य में चर्चा है कि पुराने समय में जब यात्री कुंड से भीख मांगते थे तो उन्हें बर्तन पानी में तैरते हुए मिलते थे। जिसका उपयोग कर वापस कुंड में डाल दिया जाता था। लेकिन समय के साथ कुंड की यह महिमा समाप्त हो गई।

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कुंड के अंदर 52 घाट और पांच कुएं

विंध्य पर्वत और गंगा के संगम पर विश्व प्रसिद्ध आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी मंदिर में पूजा करने से पहले नागवंशी इस पवित्र कुंड में स्नान करते थे। कुंड के अंदर दोनों तरफ से सीढ़ियां बनाकर बावन घाट बनाए गए हैं, इसलिए इसे बावन घाट भी कहा जाता है। कुंड में पानी के लिए तलहटी में पांच कुएं हैं, जिससे कुंड में पानी आता रहता है।

नाग पंचमी पर की जाती है विशेष पूजा

सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग कुंड पर स्नान करने वाले को अक्षय पुण्य मिलता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक नाग पंचमी पर नाग कुंड पर विशेष पूजा की जाती है। नाग कुंड के चारों ओर पत्थर पर नाग मूर्तियां बनी हुई हैं। नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु नाग कुंड को देखने और उसमें स्नान करने आते हैं।

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