नेपीदावः आंग सान सू की सरकार का तख्तापलट के बाद से म्यांमार में सेना का शासन है। तबसे लोकतंत्र समर्थक विद्रोही समूहों और सत्ता पर काबिज सेना के बीच हिंसक झड़पें होती आ रही हैं। इस बीच म्यांमार के दक्षिणी शान राज्य में एक मठ में तीन भिक्षुओं सहित 29 लोगों की हत्या कर दी है। विद्रोही समूह और सेना एक दूसरे पर नरसंहार का आरोप लगा रहे हैं। ऑनलाइन पोस्ट की गई तस्वीरों में गांव के मठ के प्रवेश द्वार के पास खून से लथपथ कई शव दिखाई दे रहे हैं, जिनमें तीन बौद्ध भिक्षुओं शामिल है। मठ के सामने के हिस्से पर भी गोलियों के निशान थे। शनिवार की इस घटना के लिए विद्रोही समूहों और सेना समर्थित जुंटा ने एक-दूसरे पर नरसंहार करने का जिम्मेदार बताया है।
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एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि इस महीने की शुरुआत में सगैंग क्षेत्र के म्यिनमु टाउनशिप में जून्टा सैनिकों द्वारा कथित तौर पर 17 ग्रामीणों की हत्या करने के कुछ ही हफ्तों बाद शनिवार को नन्नेइंट गांव में ताजा घटना हुई। सरकार विरोधी करेनी नेशनलिटीज डिफेंस फोर्स (केएनडीएफ) द्वारा प्रकाशित और म्यांमार नाउ द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित तस्वीरों में स्पष्ट रूप से पीड़ितों के सिर और उनके शरीर के अन्य हिस्सों पर बंदूक की गोली के घाव दिखाई दे रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक तब से अब तक कुल 22 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि सात अन्य के अभी भी घटनास्थल पर होने की आशंका है। प्रवक्ता ने सुरक्षा कारणों से नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मठ के पीछे सात और शव हैं, जिन्हें हम अभी तक एकत्र नहीं कर पाए हैं.
बता दें कि सैन्य नेता मिन आंग हलिंग के 2021 के तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यांमार राजनीतिक हिंसा में फंस गया है, जिससे 55 मिलियन लोगों के दक्षिण पूर्व एशियाई देश के एक कामकाजी लोकतंत्र बनने की कोई उम्मीद नहीं है। तख्तापलट के बाद लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सबसे क्रूर सैन्य कार्रवाई हुई, जिसमें नागरिकों को सड़क पर गोली मारते देखा गया।
इस बीच, म्यांमार के जुंटा प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने आरोपों को खारिज कर दिया कि सेना जिम्मेदार थी। म्यांमार के सरकारी एजेंसी ने मठ में हिंसा के लिए आतंकवादी समूहों करेन नेशनल पुलिस फोर्स (केएनपीएफ), पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) और करेनी नेशनल प्रोग्रेसिव को जिम्मेदार ठहराया।
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