नई दिल्लीः सावन सोमवार के दूसरे दिन मंगलवार को मंगला गौरी व्रत एवं पूजन करने का विशेष महत्व है। मंगला गौरी व्रत करने और माता पार्वती की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। श्रावण मास भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती को भी अतिप्रिय है क्योंकि इस मास भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। विवाहित स्त्री के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष फलदायक होता है। माता पार्वती की पूरी श्रद्धा से वंदना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही गृहस्थ जीवन में आ रही सभी बाधाएं भी स्वतः ही दूर हो जाती हैं।
मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि
मंगला गौरी व्रत करने के लिए प्रातःकाल घर की भली प्रकार सफाई करने के लिए दैनिक कार्यो से निवृत्त होने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद सिंदूर, लाल फूल, मौसमी फल, मिष्ठान, धूप, दीप आदि अर्पित करें। इसके साथ व्रत कथा का पाठ कर आरती अवश्य करें। इस दिन जरूरतमंद व्यक्ति को अनाज का दान शुभ फलदायी होता है। सावन के सभी मंगलवार को विधिपूर्वक मंगला गौरी व्रत करने के बाद अंतिम मंगलवार को दान के साथ पूजा का उद्यापन करें।
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मंगला गौरी व्रत का महत्व
सावन सोमवार के दूसरे दिन मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित स्त्री के जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही अविवाहित युवतियों के इस व्रत करने को करने से विवाह के मार्ग में आ रही सभी अड़चने दूर हो जाती है। साथ ही मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाओं को इस व्रत से अखंड सौभाग्य और संतान सुख मिलता है।