फ्रांस में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरा मुस्लिम समुदाय, जानें मामला

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पेरिस: फ्रांस में कट्टरवाद के खिलाफ प्रस्तावित कानून के विरोध में रविवार को रैली हुई। रैली में वक्ताओं ने कहा, प्रस्तावित कानून उनकी धार्मिक आजादी को खत्म कर देगा। इसके चलते सभी मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जाएगा। उन्हें संदिग्ध माना जाएगा। फ्रांस में हाल के वर्षों में हुए आतंकी हमलों और बढ़ी कट्टरता से निपटने के लिए सरकार यह कानून बना रही है।

कट्टरवाद के खिलाफ नया कानून

फ्रांस की संसद में मंगलवार को नए कानून के प्रस्ताव मतदान हुआ। माना जा रहा है कि जल्द ही संसद के दोनों सदन इसे पारित कर देंगे। निचले सदन में हुई चर्चा में सांसदों ने देश में अतिवादी हिंसा पर चिंता जताई। कुछ महीने पहले एक शिक्षक की सरे राह दिनदहाड़े गला काटकर हुई हत्या का जिक्र भी किया गया।

फ्रांसीसी मूल्यों की रक्षा के लिए कानून जरूरी

चर्चा में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने कहा, फ्रांसीसी मूल्यों की रक्षा, लिंग आधारित बराबरी और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए कानून बनाया जाना जरूरी है। इस कानून से कट्टरपंथी विचारधारा पर प्रहार किया जा सकेगा। इसी विचारधारा की वजह से देश में हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है।

रैली में वक्ताओं का आरोप

रविवार को हुई रैली में कहा गया कि कट्टरवाद को खत्म करने के लिए सरकार अभी भी उपलब्ध कानूनी साधनों का इस्तेमाल कर रही है। नया कानून मुस्लिमों को फ्रांस का दोयम दर्जे का नागरिक बना देगा। जबकि फ्रांसीसी मुसलमान की विचारधारा कट्टरपंथी नहीं है।

किसी एक घटना के लिए पूरा समुदाय जिम्मेदार नहीं

वक्ताओं ने कहा कि किसी एक घटना के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। विरोधियों ने कहा कि यह कानून दक्षिणपंथी सोच के लोगों को खुश करने के लिए बनाया जा रहा है, जो 2022 में होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव में मैक्रों को एकबार फिर से जिताने में भूमिका अदा कर सकते हैं।